Book Title: Saral Jyotish Author(s): Arunkumar Bansal Publisher: Akhil Bhartiya Jyotish Samstha Sangh View full book textPage 9
________________ भारत के दक्षिणी भाग में इस प्रचलित जन्मपत्री रूप चित्र नं. 2 के अनुसार है इस रूप में राशियों की स्थिति भावों में स्थिर रखी जाती हैं और जैसा कि चित्र में दिखाया गया है और ऊपर के बायें हाथ के वर्ग मीन राशि लिखी जाती है और घड़ी की चाल के क्रम में मेष वृष मिथुन आदि राशियों शेष वर्गों में लिख दी जाती है और जो लग्न स्पष्ट राशि की उस राशि वर्ग में शब्दो से लिखा जाता है और उस पर लग्न को निशान भी लगा दिया जाता है उसके पश्चात् जन्मसमय ग्रह स्पष्ट सारणी से ग्रहों की जो स्थिति होती उसके अनुसार सम्बन्धित राशि में बैठा दिया जाता है। चित्र नं. 2 मीन मेष वृष मिथुन कुम्भ कर्क मकर सिंह धनु | वृश्चिक तुला | कन्या चित्र नं. 3 में जन्मपत्री के रूप प्रयोग बंगाल और उसके पड़ोसी क्षेत्र में सामान्यतया किया जाता है। इस रूप में ऊपरी कोष्ठ में मेष राशि लिखी जाती है। और तदुपरान्त घड़ी की विपरीत चाल अनुसार क्रमशः कोष्ठो में वृष, मिथुन राशि आदि लिख दी जाती है जन्मसमय जो लग्न स्पष्ट राशि होती है, उसे उस राशि वर्ग में शब्दों में लिखा जाता है और उस पर लग्न का निशान भी लगा दिया जाता है इसके पश्चात् जन्म समय ग्रह स्पष्ट सारणी से ग्रहों की जो स्थिति होती है उसके अनुसार सम्बन्धित राशि में बैठा दिया जाता है।Page Navigation
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