Book Title: Sanskrit Sahitya ka Itihas
Author(s): Hansraj Agrawal, Lakshman Swarup
Publisher: Rajhans Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 8
________________ प्रथम संस्करण का प्रामुख संस्कृत-साहित्य का महत्व बहुत बड़ा है (देखो पृष्ठ १-१) । हिन्दी भाषा का संस्कृन से घनिष्ठ सम्बन्ध है, वही सम्बन्ध है जो कि एक लड़की का अपनी माता से होता है (देखो पृष्ठ ११-१५ )। सस्कृत-साहित्य से सम्बद्ध इतिहास का हिन्दी में अभाव कुछ खलता ला था अतः मैं यह प्रयास संस्कृत-साहित्य से अनुराग रखने वाले हिन्दी प्रेमियों की सेवा में प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस ग्रन्थ को लिखते समय मेरा विशेष लक्ष्य इस विषय को सस्कृत साहित्य के प्रेमियों के लिए अधिक सुगम और अधिक आकर्षक बनाने को ओर रहा है । इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मैने विशेषतया विश्लेषण शैली का सहारा लिया है। उदाहरणार्थ, मैंने यह अधिक अच्छा समझा है कि कविकुलगुरु कालिदास का वर्णन महाकाव्य प्रणेता के या नाटककार के या संगीत-काव्य कर्ता के रूप में तीन भिन्न-भिन्न स्थानों पर न दे कर एक ही स्थान पर दे दिया जाए । जहां-जहां सम्भव हुआ है आधुनिक से अाधुनिक अनुसन्धानों के फलों का समावेश कर दिया है । पाश्चात्य दृष्टि कोण का अन्धाधुन्ध अनुकरण न कर के मैने पूर्वीय दृष्टिकोण का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा है। __मैं उन भिन्न-भिन्न प्रामाणिक लेखकों का अत्यन्त कृतज्ञ हूं--जिनमे से कुछ उल्लेखनीय ये है,- मैकडॉनल, कीथ, विंटरनिट्ज, पीटरसन,

Loading...

Page Navigation
1 ... 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 ... 350