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परिश्रम किया है और वे हार्दिक वधाई के पात्र हैं। मैं इस पुस्तक का स्वागत करता हूँ और अपने सहकर्मी विद्वान् डॉ० मुहम्मद इसराइल खाँ का पाण्डित्यपूर्ण लेख - संग्रह के लिए हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ ।
दिल्ली १६.७.१६८५
- रसिक विहारी जोशी एम० ए०, पी-एच० डी०, डी० लिट् (पेरिस ) प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, संस्कृत विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय