Book Title: Sanskrit Hindi Kosh
Author(s): Vaman Shivram Apte
Publisher: Nag Prakashak

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Page 1342
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दल। ( 1333 ) बाराशिः [वार+राशि:] समुद्र। निमित्त नियत भूमिखण्ड 2. आवास 3. सभाभवन वारि (नपुं०)[व+इश] 1. पानी 2. तरल या पिघला सम-कर्मन् (नपुं०) 1. भवन निर्माण करना, हुआ या बहने वाला पदार्थ / सम-कटः गांव के भवन निर्माण का प्रारूप, ज्ञानम वास्तु कला, भवन चारों ओर की खाई, परिखा, पिण्डः चट्टान का निर्माण का प्रारूप या अभिकल्प, देवता भवन की मेंढक,-भवः शंख, साम्यम् दूध / अधिष्ठात्री देवता,- विद्या स्थापत्य कला, भवन. वारणी [वरुण-+ अण] शराब का विशेष प्रकार, वारुणीं निर्माण विज्ञान,-निधानम, भवन संरचना,। मदिरां पीत्वा--भाग० 1 / 15 / 23 / | वास्तुक (वि.) यज्ञ भूमि पर अवशिष्ट रही सामग्री वास्त: 1. समुद्रतट, समुद्रवेला 2. अग्नि 3. किवाड़ का - उवाचोत्तरतोऽभ्येत्य ममेदं वास्तुकं वसु-भाग० 9 / 4 / 6 / वार्तानुकर्षकः / वात्रः दिवस, दिन। वार्तायनः / 81. चर 2. दूत 3. वृत्तवाहक / वाहः [वह घश ] 1. ले जाने वाला 2..कूली 3. भारवार्ताकर्मन् (नपुं०) खेती और मुर्गी पालन का व्यवसाय / वाहक 4. घोड़ा 5. बैल 6. मैसा 7. सवारी / सम. वार्तापतिः नियोजक, काम देने वाला, स्वामी। . वारः घुड़सवार, रिपुः भैसा, वाहः रपवान, वानीन्यायः मीमांसा का एक नियम जिसके अनुसार रथ को होकने वाला-स्ववाहवाहोचितवेषपेशल: विवरण यदि मुख्य सामग्री के साथ उपयुक्त न लगे -0 1166, वाहनम् चप्पू - रा० 2052 / 6, तो उसे सहायक सामग्री के साथ जोड़ दिया जाय- वाहम् (पुं०) अग्नि / मी० सू० 3 / 1 / 23 पर शा० भा०। विराज् पक्षियों का राजा, बाज पक्षी। वादरम् 1. रेशम 2. जल 3. दक्षिणावर्त शंख / विक (वि०) [व० स०] 1. जलहीन 2. अप्रसन्न / वाईलम बरसात का दिन / विकच (वि०) [विकच् +अच् ] 1. खिला हुआ, खुला वायम् एक प्रकार का नमक / / हुआ 2. फैला हुआ, बखेरा हुआ 3. केशशून्य, वाणिस् 1. एक पक्षी 2. बूढ़ी बकरी। 4. चमकीला, देदीप्यमान-चन्द्रांशुविकचप्रख्यम् -रा० वालुकायन्त्रम रेत से स्नान करना, शरीर पर रेत मलना / 2115 / 9 / सम-श्री (वि.) उज्ज्वल सौ से युक्त, वावात (वि.) प्रिय, प्रीतिभाजन, स्नेहभाजन / अनिन्द्य लावण्य से सम्पन्न / वासः बस+घा ] 1. सुगन्ध 2. रहना 3. आवास विकचित (विभाविकच+इतच ] खुला हुआ, खि 4. एक दिन की यात्रा 5. वासमा 6. स्वरूप, आकृति। हुआ। सम-पर्ययः आवासस्थान का परिवर्तन, प्रासादः | विकटः गणेश,-टम् 1. रसौली 2. चन्दन, 3. सफेद महल / | संखिया। बासना [वास्+यच+टाप्] (गणित) प्रमाण, प्रदर्शन / बिकया असंगत बातें। वासनामय (वि०) भाव तथा भावनाओं से युक्त / विकर्तृ (वि०) [वि+कृ+तृच् ] बाधा डालने वाला वासित (वि.) [वास्+क्त पवित्रीकृत, शिक्षित, उन्नोत, -राक्षसा ये विकार:-रा० श१०१०।। ___ सुधारा गया - नै० 21 / 119 / विकवच (वि.) [ब० स०] कबचहीन, जिसके पास वासरः,-रम् [वास्+अर] दिन, - र: 1. समय, बारी जिरह बख्तर न हो। 2. एक नाग का नाम। सम०-कन्यका रात, विकाक्षा [वि+काङक्ष+अड+टाप्] 1. मिथ्या .....कृत, - मणिः सूर्य। उक्ति 2. इच्छा न होना 3. संकोच / वासवि: 1. इन्द्र का पुत्र जयन्त 2. अर्जन 3. वालि। विकार्यः [ वि-++ण्यत् ] अहं, अहंकार, अभिमान / वासवेयः [वासवी+ढक] व्यास का नाम-महा० 121159 / / विकाशः [वि+का+अच् ] उज्ज्वलता। वासस् [वस्+णिच् +अस्] 1. वस्त्र 2. कफन 3. पर्दा। विकुक्षि (वि.) बड़े पेट वाला, उभरी हुई तोंद वाला। सम-उदकम वस्त्र को निचोड़ने पर उससे | विकबर (वि.) जिसमें कोई लम्बी लकड़ी न लगी हो। निकला हुआ पानी जो प्रेतात्माओं को उपहृत किया | विक (तना० उभ०) बदनाम करना, कलङ्क लगाना अनार्य जाता है-वृक्षः आश्रयपादप, शरण प्रदान करने वाला इति मामार्याः....."विकरिष्यन्ति-रा० 2 / 12 / 78 / पेड़। विकृत (वि.) [वि+ +क्त ] 1. परिवर्तित, बदला वासिष्ठम् रक्त, रुधिर, खून / हुआ 2. अपूर्ण, अधूरा 3. अप्राकृतिक 4. आश्चर्यबासिष्ठरामायणम् एक ग्रन्थ का नाम (यह ज्ञानवासिष्ठ | जनक 5. विरक्त, - तम् (नपुं०) 1. परिवर्तन के नाम से भी प्रसिद्ध है)। 2. रोग 3. अरुचि 4. गर्भस्राव-मनु० 11247 वास्तु (पुं०, नपुं०) [वस्+तुण् ] 1. भवन बनाने के। 5. दुष्कृत्य-रा०-७६५।३४ / For Private and Personal Use Only

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