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चौदहवाँ बोल स्तव-स्तुतिमंगल
परमात्मा की प्रार्थना हृदय का अज्ञान मिटाने के लिए ही करनी चाहिए । यही वात शास्त्रकार भी कहते हैं । शास्त्र में भी स्तुति-प्रार्थना करने के विषय में भगवान से प्रश्न पूछा गया है । वह प्रश्न और उसका उत्तर इस प्रकार है -
मूलपाठ प्रश्न-थवयुइमगलेणं भंते ! जीवे कि जणयइ ?
उत्तर-थवथइमंगलेण नाणदसणचरित्तबोहिलाभं जणेइ, नाणदंसणचरित्तबोहिलाभसपन्ने य णं जीवे अंतकिरियं कप्पविमाणोववत्तियं पाराहण पाराहेइ ॥१४॥
शब्दार्थ प्रश्न- भगवन् ! स्तव और स्तुतिमगल से जीव को । क्या लाभ होता है?
उत्तर-एक श्लोक से लेकर सात श्लोको में परमात्मा की जो प्रार्थना की जाती है यह स्तुति कहलाती है और