Book Title: Samyag Darshan Part 01
Author(s): Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
Publisher: Kundkund Kahan Parmarthik Trust Mumbai
View full book text
________________
www.vitragvani.com
286]
[सम्यग्दर्शन : भाग-1 इस प्रकार जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और कालइन छह द्रव्यों की सिद्धि की गयी है। इनके अतिरिक्त अन्य सातवाँ कोई द्रव्य है ही नहीं। इन छह द्रव्यों में से एक भी द्रव्य कम नहीं है, ठीक छह ही हैं और ऐसा मानने से ही यथार्थ वस्तु की सिद्धि होती है। यदि इन छह द्रव्यों के अतिरिक्त कोई सातवाँ द्रव्य हो तो उसका कार्य बताइये। ऐसा कोई कार्य नहीं है, जो इन छह द्रव्यों से बाहर हो, इसलिए यह सुनिश्चित है कि कोई सातवाँ द्रव्य है ही नहीं और यदि इन छह द्रव्यों में से कोई एक द्रव्य कम हो तो उस द्रव्य का कार्य कौन करेगा? छह द्रव्यों में से एक भी ऐसा नहीं है, जिसके बिना विश्व का विषय-व्यवहार चल सके।
जीव - इस जगत में अनन्त जीव हैं। जीव ज्ञातृत्व चिह्न (विशेषगुण) के द्वारा पहिचाना जाता है; क्योंकि जीव के अतिरिक्त किसी भी पदार्थ में ज्ञातृत्व नहीं है। जो अनन्त जीव हैं वे एकदूसरे से बिल्कुल भिन्न हैं।
पुद्गल - इस जगत में अनन्तानन्त पुद्गल हैं । वे रूप, रस, गन्ध, स्पर्श के द्वारा पहचाने जाते हैं, क्योंकि पुद्गल के अतिरिक्त अन्य किसी भी पदार्थ में रूप, रस, गन्ध स्पर्श नहीं होते। इन्द्रियों के द्वारा जो भी दिखायी देता है, वे सब पुद्गलद्रव्य से बने हुए स्कन्ध हैं।
धर्म - यहाँ धर्म का अर्थ आत्मा का धर्म नहीं है, किन्तु धर्म नाम का पृथक् द्रव्य है। यह द्रव्य एक अखण्डद्रव्य है, जो समस्त लोक में विद्यमान है जीव और पुद्गलों के गति करते समय यह द्रव्य निमित्तरूप पहचानाजाता है।
अधर्म - यहाँ अधर्म का अर्थ पाप अथवा आत्मा का दोष नहीं
Shree Kundkund-Kahan Parmarthik Trust, Mumbai.