Book Title: Samaysara Drushtantmarm
Author(s): Manohar Maharaj
Publisher: Sahajanand Shastramala

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Page 66
________________ बन्धाधिकार (५६) धूल चिपकी ? (२) क्या तलवार हाथमें होनेके कारण धूल चिपकी ? (३) क्या व्यायाम व्यापार करनेसे धूल चिपकी ? (४) क्या धूल भरे अखाड़े में रहनेसे धूल चिपकी ? १७०-उक्त प्रश्नोंपर विचार करनेसे यह समाधान होता है कि सचित्त पदार्थ (प्राणी) के घातसे कर्म नहीं बंधता, क्योंकि यदि प्राणिघातसे कर्म बंधता हो तो ईर्या समिति (प्राणिरक्षा करते हुए) से चलते हुए साधुके पद-तलमें कोई सूक्ष्म जन्तु आ जाय व उसका घात हो जाय नो वहां भी उस कारणसे वन्ध होना चाहिये किन्तु साधुके तो तत्कृत बन्ध होता नहीं । जैसे कि यदि कदली आदि वृक्षके घातसे यदि धूल चिपटती हो तो दूसरा मल्ल भी सो जो कि जरा भी तैल देहमें नहीं लगाये हुए है, उसी प्रकार व्यायाममे कदली आदि वृक्षका घात कर रहा है । उसक देहमें क्यों नहीं धूल चिपटती ? इससे सिद्ध है कि जैसे कदली 'घातके कारण धूल नहीं चिपटती इसी प्रकार चित्त-घातसे कर्मबन्ध नहीं होता। १७१-बाह्य साधन (मकान आदि) के कारण भी कर्मवन्ध नहीं होता, क्योकि यहि वाह्य उपकरण, साधन आदिके कारण कर्मवन्ध होता तो सयोगी जिन अथवा तीर्थकर भगवानके समवसरणमें तो गन्धकुटी आदि किसने वैभव रहते हैं, फिर उनके कर्मबन्ध क्यों नहीं होता? जैसे कि तलवार आदि शस्त्र हाथमे होनेसे यदि धूल चिपटी होती तो दूसरा मल्ल भी तो जो देहमें तेल नहीं लगाये हुए है उसी प्रकार तलवार हाथमे लेकर व्यायाम करता है उसके धूल क्यो नहीं चिपटती ? इससे सिद्ध है कि जैसे तलवार आदि उपकरणोके कारण धूल नहीं चिपटती इसी प्रकार . बाह्य साधनोके कारण जीवके कमवन्ध नहीं होता। १७२-मन वचन कायके हलन चलनसे भी कमवन्ध नहीं होता, क्योंकि यदि योगसे कर्मवन्ध हो जाता होता तो सयोगिजिन भगवानके भी वो विहार, दिव्यध्वनि आदिके निमित्त योग होता है, उनके कर्मबन्ध क्यों न होता? जैसे कि यदि व्यायामके व्यापारसे यदि धूल चिपटती

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