Book Title: Samavsaran Prakaran
Author(s): Gyansundar Muni
Publisher: Ratnaprabhakar Gyanpushpmala

View full book text
Previous | Next

Page 43
________________ गोडवाइका हित भी साधन दृष्टिगोचर न होंगा. बालकों का स्वास्थ्य तो दूर रहो पर वह खुद अपने शरीर की भी परवाह नहीं रखते है । इसी कारण बाल मृत्यु भौर विधवाओं कि संख्या जितनी इस प्रान्तमें है उतनी स्यात् ही किसी अन्य प्रान्तमें होगी अतएव गेहना कपडा कि निस्वत बालकों के आरोग्यतापर अधिक ख्याल रखना चाहिये कारण इस बालकोपर आप के संसार का आधार है । . (६) कन्याविक्रय भी जितना इस प्रान्त में है ऐसा किसी प्रान्तमे शायद् ही होगा, जो लोग छाने चुपके हजार पांचसौ रूपये लेते थे वह आज चौडे मैदान में निःशंक पणे पांच दश हजार रूपैये लेना तो साधारण वात समझते है । कन्या विक्रय का बजार इतना तो गर्म हो गया कि चालीस पचास हजार तक पहुँच गया इसी कारण से हजारों युवक कुंवारे पितर होते है । आज कल वरविक्रय (डोरा) का बजार भी बहुत तेजी पर जा पहुँचाः है। साधारण आदमि तो एकाद लडकि का विवाह में ही अपना सर्वस्व होम देते है। अगर इस दुष्टाचरणोंमें सुधार न किया जाय तो भविष्यमें इसका परिणाम बहुत बुरा होगा। जाति अग्रेसरों को जल्दी से सावचेत हो जाना चाहिये । .' (७) गोडवाड़ में पंचतीर्थी और पुराणे मन्दिर बहुत है और उनकी सेवा-भक्ति श्रद्धा भी बहुत अच्छी है जिसकी वदोलत ही भाज गोडवाड़ सब तरह से हराभरा ( सुखी ) है जो कुच्छ त्रुटी कही जाय तो मन्दिर पूजाने कि है कारण गोडवाड़ के लोग आज कल शेठजी बन. बेठे है, आप से न तो भगवान का

Loading...

Page Navigation
1 ... 41 42 43 44 45 46