Book Title: Samadhi Maran Patra Punj
Author(s): Kasturchand Nayak
Publisher: Kasturchand Nayak

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir देखकर स० सिं० छिकोड़ीलालजी के आत्मज स० सिं० दमड़ीलाल जी ने ५०० प्रतियां और श्रीयुत् लालचंद जी के आत्मज पन्नालाल जी ने २५० प्रतियां छपाकर और भो वितरण कराने की उदारता प्रगट की है अतः उपरोक्त महानुभाव विशेष धन्यवाद के पात्र हैं। धर्म सहानुभूति- इन अनुपम ज्ञानपुंज पत्रों को छपाने में पंडित शिखरचंद जी ने बहुत कुछ अपना अमूल्य समय व्यतीत किया है। जहां तहां श्लोकों का भी अर्थ लिखा है। इसके लिये आपको भी कोटिशः धन्यवाद है। प्रबल इच्छा- जिस दिन से शांतिसिन्धु गजट में इन ज्ञानरत्न पत्रों को पढ़ा उसी दिन से भावज्ञान का हिंडोला मेरे हृदय में झूलता रहता है । भेद विज्ञान को प्रगट कर शरीरादिक परद्रव्यों में निष्पृहता, अपने स्वरूप में लीनता और कषायों की मंदता आदि गुणों की ओर आत्मा सतत् व्यापार करने की चेष्टा करता रहता है। For Private and Personal Use Only

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