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खण्ड ३ : इतिहास के उज्ज्वल पृष्ठ
३. श्री ऋषभदेवजी भगवान का मंदिर एवं दादावाड़ी - ( मोहनबाड़ी ) :
यह शहर का सर्वाधिक रमणीय स्थान बन गया है । वर्तमान में खूबसूरत लान व बगीचे के निर्माण हो जाने से यह लोगों के सामाजिक कार्यों का प्रमुख केन्द्र है । इसमें नवनिर्मित 'श्री विचक्षण समाधि' अपने आप में एक आकर्षण है, जहाँ शहर व बाहर के दर्शनार्थी अपूर्व आनन्द का लाभ लेते हैं । भविष्य में मोहनबाड़ी को और भी आकर्षक बनाने की कई योजनायें विचाराधीन हैं । ४. श्री चंदाप्रभुजी का मंदिर एवम् दादावाड़ी, आमेर :
जयपुर की पुरानी राजधानी में स्थित श्री चंदाप्रभुजी का भव्य मंदिर व दादावाड़ी है । मंदिर की मूर्ति अत्यन्त ही मनोरम व आकर्षक हैं । कहते हैं, पूरे भारत में श्री चन्दाप्रभु भगवान की ऐसी सुन्दर छवि की मूर्ति कहीं नहीं है । मंदिरजी में जीर्णोद्धार कार्य का लाभ एक सधर्मी भाई ले रहे हैं जिससे प्राचीन मंदिर में और चार चाँद लग जायेंगे ।
५. श्री सांगानेर मंदिरजी व दादावाड़ी :
सांगानेर मंदिरजी के अन्दर का कार्य पूरा हो चुका है। यह मंदिर भी प्राचीन मंदिरों में से एक भव्य मंदिर है और यहाँ की कला भी काफी आकर्षक है |
सांगानेर द्वादाबाड़ी में छतरियों के जीर्णोद्धार कार्य हो जाने से पुरानी भव्यता पुनः लौट आई है । दादावाड़ी में एक सुन्दर बगीचा भी विकसित किया जा रहा है ।
६. श्री चाकसू मंदिरजी :
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यह भी एक प्राचीन मंदिर है और यहाँ सालाना पूजा का आयोजन किया जाता है ।
७. श्री आदीश्वर भगवान का मंदिर : ( नथमलजी का कटला )
यह शहर के पास है और इसका आवश्यक जीर्णोद्धार करवाया गया है । परमपूज्य प्रवर्तिनी श्री सज्जन श्री जी म० सा० के दीक्षा के समय इस मंदिर की प्रतिष्ठा हुई थी और उनके परिवार के सदस्य श्रीमान कल्याणमलजी गोलेच्छा ने इस मंदिर को श्री खरतरगच्छ संघ को भेंट दे दिया था । इस सम्बन्ध में पूज्य म० सा० का पूर्ण योगदान रहा । इसी वर्ष कुछ नवीन मूर्तियों की प्रतिष्ठा व दादा गुरुदेव के चरण स्थापित किये गये हैं ।
८. श्री महावीर भगवान का मंदिर - (टोंक फाटक) :
यहाँ शहर के बाहर बसे कोलोनियों के लोगों के दर्शन व पूजा करने वालों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है । मंदिर के नवीनीकरण की योजना विचाराधीन है ।
९. श्री विचक्षण विद्या विहार - छात्रावास :
यह टोंक फाटक पर स्थित है । विभिन्न जगहों के समाज के छात्रों के यहाँ रहने का प्रबंध है । छात्रों को विद्याध्ययन के अलावा शुद्ध भोजन व धार्मिक प्रवृत्ति का यहाँ लाभ प्राप्त होता है । १०. महिला विभाग :
यह विभाग आयंबिलशाला व उपाश्रय की व्यवस्था में कार्यरत है। आंबिलशाला का नवीनीकरण हो चुका है । आयबिलशाला नियमित रूप से प्रगति कर रही है ।
११. श्री विचक्षण स्मृति भवन :
इसका निर्माण जोरों से चल रहा है। नीचे की मंजिल व तहखाने का कार्य पूरा हो चुका है।
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