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जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...193 3. यावज्जीवन प्रत्येक वर्ष की मौन एकादशी को उपवास करना।
4. ग्यारह महीना तक प्रत्येक मास की कृष्णा एवं शुक्ला एकादशी को उपवास करना।
उपर्युक्त चारों में पहला प्रकार अधिक प्रचलित है।
उद्यापन - इस तप की अनुमोदनार्थ बृहत्स्नात्र पूजा करें, श्रुतभक्ति के आयोजन करवायें, आगम ग्रन्थ आदि लिखवायें, ग्यारह-ग्यारह की संख्या में नैवेद्य, फल, पुष्पादि द्रव्य सामग्री चढ़ायें। यथाशक्ति साधर्मी वात्सल्य एवं संघपूजा करें।
• सुविहित परम्परा का अनुपालन करते हुए प्रत्येक माह की शुक्ला एकादशी के दिन निम्न गुणना आदि करेंजाप
साथिया खमा. कायो. माला श्री मल्लिनाथ सर्वज्ञाय नमः 12 12 12 20 ____ मौन एकादशी के दिन डेढ़ सौ कल्याणकों की एक-एक माला निम्नलिखित क्रम से फेरेंजम्बूद्वीपे भरत क्षेत्रे अतीत चौबीसी के पाँच कल्याणक।1।
4. श्री महायश सर्वज्ञाय नमः 6. श्री सर्वानुभूति अर्हते नमः 6. श्री सर्वानुभूति नाथाय नमः 6. श्री सर्वानुभूति सर्वज्ञाय नमः 7. श्री श्रीधर नाथाय नमः जम्बूद्वीपे भरत क्षेत्रे वर्तमान चौबीसी के पाँच कल्याणक।2। 21. श्री नमिनाथ सर्वज्ञाय नमः 19. श्री मल्लिनाथार्हते नमः 19. श्री मल्लिनाथ नाथाय नमः 19. श्री मल्लिनाथ सर्वज्ञाय नमः 18. श्री अरनाथ नाथाय नमः जम्बूद्वीपे भरत क्षेत्रे अनागत चौबीसी के पाँच कल्याणक।। 4. श्री स्वयंप्रभ सर्वज्ञाय नमः 6. श्री देवश्रुत अर्हते नमः 6. श्री देवश्रुत नाथाय नमः 6. श्री देवश्रुत सर्वज्ञाय नमः 7. श्री उदयप्रभ नाथाय नमः धातकीखण्डे पूर्व भरते अतीत चौबीसी के पाँच कल्याणक।4। 4. श्री अकलंक सर्वज्ञाय नमः 6. श्री शुभंकर अर्हते नमः 6. श्री शुभंकर नाथाय नमः 6. श्री शुभंकर सर्वज्ञाय नमः