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॥ रत्नसार ॥ .
छै ते अड़तालीसमो प्रश्नः-प्रकाशता अने विलंछनता स्वाभाविक लक्षण ज्ञान. १ दृढास्तिकता प्रतीतात्मक श्रद्धानता स्वाभाविक दर्शन लक्षण, २ तथा. स्थिरता अने अनाकुलता चरण रूप ते स्वाभाविक चारित्र लक्षण.३ए त्रणना सामान्यपणे लक्षण जाणवा.अने मूल भेद ज्ञान जाणवो.दर्शन देखवो. चारित्र परणमैवा इम छै. पण उत्तर भेदे-स्वभाव लक्षण सामान्यपणे जाणवु ते ज्ञान जाणवो. वस्तु गत दर्शन देखवो प्रतीतात्मक श्रद्धान रूप है, ते दर्शन जाणवो. अने विवेक रूप ते परण मयूं तेम चारित्र तरण रूप छै. ए जीव मा ३ गुण वस्तु रीतै जाणवा ए भाव.. ___४९. हिवै धर्म सांभलवो, जाणवो, धारवो ते केवी रीते? ते उगणपचासमो प्रश्न कहै छै:-ते धर्म सांभलवो, ते धर्म जाणवो, ते धर्म आदरवो ते विधि कहै छै. वीतराग नी वाणी स्यादवाद रूपै छै. आत्म स्वरूप गुरु उपदेश कहै छैतेधर्म सांभलवो१. स्वसमय पर समय विलंछकता धर्म शुद्धाशुद्ध प्रकाश थयो ते