Book Title: Rajprashniya Sutra Part 01
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 656
________________ सुबोधिनी टीका. सू. ९६ सूर्याभदेवस्य कार्यक्रमवर्णनम् ६४१ दाक्षिणात्यस्य मुखमण्डपस्य पौरस्त्य द्वार तत्रैव उपागच्छति, लोमहस्तकं परामशति, द्वारचेटयौ तदेव सर्वम् । यत्रैध दाक्षिणात्यस्य मुखमण्डपस्य दाक्षिणात्य द्वार तत्रैव उपागच्छति, द्वारगेटयौ तदेव सर्वम् । यत्रेव दाक्षिणात्यस्य प्रेक्षागृहमण्डपस्य वहमध्य देशभागो यत्रैव वज्रमयः अक्षपाटको यत्र मणिपीठिका यत्रैव सिंहासन लव उपागच्छति, लोमहस्तक परामशति, अक्षपाटकच मणिपीठिकां च कार्य उसने धूप जलाने तक किये. (जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमडवम्स पुरयि मिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ, लोमहत्थग परामुगइ, दारचेडीओ, त चेव मन्य) इसके बाद वह दाक्षिणात्य मुखमण्डप के पूर्वदिशा संबंधी द्वार पर आया, वहां आकर उसने लोमहस्तक को अपने हाथ लिया, और उससे द्वारशाखाओं को, शालभंजिकाभों को एवं सर्प रूपों को साफ किया. इसके बाद दिव्यजलधारा से सींचने आदिरूप सब काम उसने धूप जलाने तक किये. (जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहम डवम्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उवागच्छद, दारचेडीओ त चेव सब) इसके बाद वह दाक्षिणात्यमुखमण्डप के दक्षिणात्य द्वार पर आया, वहां पर भी लोमहस्तक को उठाया, वहां द्वारचेटीको शालभंजिकांओं को एवं व्यालरूपों को साफ किया, इसके बाद दिव्यजलधारा से सींचने ओदिरूप सब काम उसने धूप जलाने तक किये. (जेणेव दाहिणिलस्स पेच्छाघरमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए जेणेव वइरामए अक्खाडा जेणेव मणिपेडिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ, वगैरेची भांगन धू५ सun सुधानn run tों पूरा ध्या. (जेणेव दाहिणिस्लस्स मुहम डवस्त पुरथिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ, लोमहत्थग परामुसइ, दारचेडीओ. तं चेव सव्व) त्यारपछी ते दक्षिणात्य भुपम उपना हिश સંબંધી કાર પર આજે, ત્યાં આવીને તેણે મહસ્તક-એટલે કે રૂંછડાવાળી સાવરણ પિતાના હાથમાં લીધી અને તેનાથી દ્વારશાખાઓ શાલભંજિકાઓ અને સર્પરૂપને સાફ કર્યા. ત્યારપછી દિવ્ય જલધારાથી સીંચન વગેરેથી માંડીને ધૂપ ४२१॥ सुधीनां धां अर्या तेणे ५२२ ४ा. (जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहम डवस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ, दारचेडीओ तं चेव सव्व) त्यारपछी ते દક્ષિણાત્યમુખમંડપના દક્ષિણાત્ય દ્વાર પર આવ્યો. અને રૂંછડાવાળી સાવરણી હાથમાં લઈને તેણે દ્વારશાખાઓ, શાલભંજિકાઓ અને વ્યાલરૂપને સાફ કર્યો. ત્યારપછી દિત્યજલધારાથી સીંચન વગેરે માંડીને ધૂપ સળગાવવા સુધીની બધી વિધિઓ પૂરી કરી. (जेणव दाहिणिल्लस्स पेच्छाधरमडवस्स बहुमज्झदेसभाए जेणेच वइरामए अक्खाडए जेणेव मणिपेढिया, जेणेव सीहासणे, तेणेव उवागच्छइ, लोमह

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