Book Title: Premi Abhinandan Granth
Author(s): Premi Abhinandan Granth Samiti
Publisher: Premi Abhinandan Granth Samiti

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Page 8
________________ ८. ऋषिभिर्वहुवा गीतम् ६. दो महान सस्कृतियों का समन्वय १०. कुछ जैन श्रनुश्रुतियां और पुरातत्त्व ११. जैन प्रथो में भोगोलिक सामग्री और भारतवर्ष में जैन-धर्म का प्रसार १२. हिन्दू राजनीति में राष्ट्र को उत्पत्ति १३ इतिहास का शिक्षण १४. देवगढ़ का गुप्तकालीन मंदिर १५. मथुरा का जैनस्तूप और मूर्तियाँ (सचित्र) १६ महाराज मानसिंह और 'मान - कौतूहल' (सचित्र) १७ जैन श्रौर वैष्णवो के पारस्परिक मेल-मिलाप का एक शासन-पत्र ४ - जैन- दर्शन १. जैन तत्त्वज्ञान २. जैन दार्शनिक साहित्य का सिहावलोकन ३ परम साख्य ४. जैनदर्शन का इतिहास श्रौर विकास ५. स्याद्वाद और सप्तभगी ६. सर्वज्ञता के प्रतीत इतिहास की झलक ७. जैन-मान्यता में धर्म का श्रादि समय श्रीर उसकी मर्यादा ५- संस्कृत, प्राकृत और जैन साहित्य १. सुमित्रा पचदशी २. विक्रमसिंह रचित पारसी संस्कृत - कोष ३. पाणिनि के समय का संस्कृत-साहित्य डा० वासुदेवशरण अग्रवाल प्रो० शान्तिप्रसाद वर्मा डा० मोतीचद्र ६. 'भगवती - श्राराधना' के कर्ता शिवायं १०. श्रीदेव-रचित 'स्याद्वादरत्नाकर' में अन्य प्रथों और प्रथकारो के उल्लेख डा० जगदीशचंद्र जैन To aटुकृष्ण घोष श्री रमिकलाल छोटालाल पारीक प० माघवस्वरूप 'वत्स' श्री मदनमोहन नागर प्रो० हरिहरनिवास द्विवेदी डा० वासुदेवशरण अग्रवाल प० सुखलाल मघवी प्रो० दलसुख मालवणिया श्री जैनेन्द्रकुमार प० महेन्द्रकुमार न्यायाचार्य प० कैलाशचंद्र सिद्धान्तशास्त्री प० फूलचंद्र जैन सिद्धान्तशास्त्री प० वशीधर व्याकरणाचार्य डा० वहादुरचंद्र छावडा डा० बनारसीदाम जैन प्रो० वलदेव उपाध्याय प० सुखलाल सघवी ४. प्रतिभा - मूर्ति सिद्धसेन दिवाकर ५. सिद्धसेन दिवाकरकृत 'वेदवादद्वात्रिशिका' ६. नयचद्र और उनका ग्रथ 'रभामजरी' ७. प्राकृत और संस्कृत पच-सग्रह तथा उनका श्राधार श्री हीरालाल जैन सिद्धान्तशास्त्रो ८. श्राचार्य श्री हरिभद्र सूरि और उनकी समरमयंकाकहा प० सुग्वलाल सघवी डा० श्रादिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये मुनि पुण्यविजय श्री ज्योतिप्रमाद जैन डा० वी० राघवन [ सात पृष्ठ २१७ २२० २२६ २५० २६ε २७३ २७६ २७६ २८५ २६० २६३-३६२ २६५ ३०३ ३२३ ३२७ ३३४ ३४५ ३५६ ३६३-५१२ ३६५ ३६७ ३७२ ३७७ ३८४ ४११ ४१७ ४२४ ४२५ ४२६

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