Book Title: Pravachansara Part 03
Author(s): Kamalchand Sogani, Shakuntala Jain
Publisher: Apbhramsa Sahitya Academy

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Page 135
________________ णिच्चं णियदं णु 2. तं व तदो तथ तम्हा ता तो दिवा दु (७) धुवं पदोसदो क पुण पुणो (128) सदैव आवश्यक रूप से प्रश्नद्योतक नहीं इसलिए वाक्य-उपन्यास इसलिए इस प्रकार इसलिये उससे तो दिन में ही निश्चित रूप से द्वेष से / पूर्वक 5/1 पंचमी अर्थक 'दो' प्रत्यय भी ही tic परन्तु और ही पादपूरक फिर परन्तु और 13, 14, 18, 49, 70 44 20 33, 44 27 29 32, 61 21 70 54 71 29 42 19 65 3, 25 7, 27 34 41 11 15 30 39 54 प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र -अधिकार

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