Book Title: Pratishtha Saroddhar
Author(s): Ashadhar Pandit, Manharlal Pandit
Publisher: Jain Granth Uddharak Karyalay

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Page 10
________________ ॐनमः परमात्मने। श्रीमत्पंडितप्रवर-आशाधरविरचितः प्रतिष्ठासारोद्धारः। ( जिनयज्ञकल्पापरनामा) जिनान्नमस्कृत्य जिनप्रतिष्ठाशास्त्रोपदेशव्यवहारदृष्टया । श्रीमूलसंघे विधिवत्प्रबुद्धान् भव्यान् प्रवक्ष्ये जिनयज्ञकल्पम् ॥१॥ हिंदी भाषाटीका ___ अब जिनयज्ञ कल्प नामके प्रतिष्ठापाठका व्याख्यान किया जाता है;-मैं (आशाधर) जिनेंद्र भगवानको नमस्कार करके और जिनप्रतिष्ठा शास्त्रोंकी गुरुआम्नायको अच्छीतरह। जानकर श्रीमूलसंघके शास्त्रोंके अनुसार श्रावकधर्मको पालनेवाले भव्योंके वास्ते जिनयज्ञक१ अथातो जिनयज्ञकल्पमनुक्रमिष्यामः । २. जिनस्थापनाधर्मसंहितागुर्वान्नायमुख्यप्रवृत्त्यवलोकनेन । POS

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