Book Title: Prasharamrati Prakaranam
Author(s): Umaswati, Umaswami, Haribhadrasuri, Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 303
________________ २७४ प्रशमरतिप्रकरणम् का. स्थलःटी .अं. प्र.ह. पत्राङ्क पाठान्तर ह. पा. पत्राङ्क ل ي ل ي ل ي ي ل १६-A १६-A १६-A ४१-A (दे) ४१-A (दे) १६-A १६-A १६-A ل ل ي ل ي इत्यधिकम् रूपेण विद्यते वा समुत्पादः कुशुलाद्यविषयद्युत्पतः नास्ति प्रसजतीत्येव उच्यते प्रवचनो विगमत्ववत् पितृवाद्यनेक स्यान्नास्ति २ इति नास्ति दवक्तव्यम् भङ्ग इतिश्च.... लोष्टायत् ل ي ه ل - ل و ४०-A (दे) ४०-A (दे) ४०-A (दे) १६-A १६-A ४०-B (दे) ४०-B (दे) ४०-B (दे) १६-A १६-A ४१-A (दे) ४१-A (दे) १६-A ४१-A (दे) ४१-A (दे) ४१-A (दे) ४१-A (दे) ४१-A (दे) ل ي م ل २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०४ २०५ २०५ २०५ २०५ २०५ वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. वि. अव. अव. टी. टी. वि. वि. ل و ل پی ل بی www.0000000000000GMsrus ل بی ل بی ४१-A (दे) ४१-A (दे) १६-A १६-A (दे) १६-A १६-A १६-B १६-B १६-B १६-B ८-B ८-B ४७-A १८७-A १६-B ४१-B (दे) ل بی | له له بي له له بي ج 2 له ७३-B (दे) ७३-B (दे) १८७-A ४७-A ४१-B (दे) १६-B ८-B لي पर्यायैर्यु(श्चा यु) म विकल्पा इत्यधिकम् उपन्यस्तं (नीतं) (ग्रन्थाग्रं १२००) खरशृङ्गवत् प्राकृतजनप्रणीतं इतिनाकारण विपर्यास इति नास्ति घटादिस्तस्मिन् घटाद्विगमो.... कुडाद्यवस्थायां घटाद्यभावः, घटोऽयमाकारेण तस्य घटस्य चशब्दादतीतकाले भवति क्वचिदुत्पाद्य-च ध्रौव्यम् नाशवद्...(त्रुटितत्वात्पत्रस्यै कमक्षरं नावलक्ष्यते) क्वचिदुत्पद्यते वस्तु ध्रौव्य له له له ७३-A मु. امي २०६ २०६ २०६ १८१-A १८१-B टी. टी. # # # ४७-A ४७-A १८९-B # ४७-A नाशवद्... ६७-A (जै) २०६ २०६ टी. टी. te te १८१-B १८१-B # # ४७-A ४७-A ६७-A (जै) सम्भवः । क्वचिदुत्पद्यते च वस्तु ध्रौव्यनाशवदेव मप्युत्पा.... मविनाशापेक्षमविनाभावि भविनाशापेक्षमविनाश (विना) भावित्वात् गन्धरसस्पर्शाः तत् इति नास्ति अन्त्ये इति भाव्यम् (?) पुद्गलः द्रव्यप्रदेशः...... पुद्गलः । द्रव्यप्रदेश: २०७ २०७ २०८ २०८ ४७-A ४७-A ho ho ho ho १८१-B १८१-B १८२-A १८२-A لي 3 8 | 9 وی ४७-A ६७-B (जै)

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