Book Title: Prakrit Sikhe
Author(s): Premsuman Jain
Publisher: Hirabhaiya Prakashan

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Page 73
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्ञ-ण : प्राज्ञ-पण (विज्ञान) द-ह. मन-महण ण्य-ण : पुण्य-पुण्ण ग्ध-द : दग्ध-दद्ध ण्व-ण : कण्व-कण्ण द्म-म : पदम-पोम्म (कमल) ध्व-द्ध : अध्वन्-अद्ध (मार्ग) क्ष्म-म्ह : पक्ष्मन्-पम्ह (बरोनी, ब्ध-द्ध : अब्धि -अद्धि (समुद्र) - महीन डोर) क्म-प्प : रुक्मिणी-रुप्पिणीष्म-म्ह : ग्रीष्म-गिम्ह त्प-प्प : उत्पल-उप्पल (कमल) स्म-म्ह . विस्मय-विम्हय त्म-प्प . : आत्मन्--अप्प हम-म्ह . ब्राम्हण बम्हण प्य-प्प : प्राप्य-पप्प ह य-यह : गुह य-गुव्ह प्र-प्प : वप्र-वप्प (टीला,खेत) र्य-ल्ल : पर्यस्त-पल्लत्थ प्ल-प्प : विप्लव--विप्पव ल-ल्ल : निर्लज्ज-निल्लज्ज प-प्प : अपंण-अप्पण ल्य-रुल : कल्याण-कल्लाण ल्प-प्प : अल्प-अप्प ल्व-ल्ल : पल्वल-पल्लल (छोटा त्फ-प्फ : उत्फुल्ल-उप्फुल्ल तालाब) ष्प-प्फ : पुष्प-पुप्फ हल-ल्ह : प्रहलाद-पल्हाअ फ-प्फ : निष्फल-निप्फल द्व-व्व : उद्वर्त्तन-उव्वट्टण (करस्प-प्फ : प्रस्पन्दन-पफ्फंदण वट, समृद्धि ) स्फ-टफ : प्रस्फोटित-पप्फोडिअर्व-व्व : उर्वी-उब्वी (पृथ्वी) ब-ब्ब : उद्बद्ध-उब्बद्ध व्य-व्व : काव्य-कव्व ब-ब्ब : निर्बल-निब्बल व-व्व : प्रव्रज्या-पव्वज्जा : अर्बुद-अब्बुअ (गुमड़ा) (संन्यास, भ्रमण) ब्र-ब्ब : अब्रह्म-अब्बंभ । र्ष-स्स : ईर्षा-इस्सा ग्भ्-ब्भ : प्राग्भार-पब्भार श्म-स्स : रश्मि-रस्सि (किरण) द्भ-भ : सद्भाव-सब्भाव श्य-स्स : लेश्या-लेस्सा भ्य-भ : अभ्यास-अब्भास श्र-स्स : ईश्वर-इस्सर भ्र-भ अभ्र-अब्भ (बादल) ष्य-स्स : शुष्य ति-मुस्सइ भ-भ : गर्भ-गब्भ प्व-स्स इष्वास-इस्सास हब-ब्भ : जिह वा-जिब्भा स्य-स्स . कस्य-कस्स न्म-म : जन्मन्-जम्म स्त्र-स्म : सहस्र-सहस्स म-म्म : कर्मन्-कम्म स्व-स्स : तेजस्विन्-तेअस्सि . ल्म-म्म : गुल्म-गुम्म (झुरमुट) ७१ सात सौखें For Private and Personal Use Only

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