Book Title: Prakaran Ratnakar Mool
Author(s): Mehta Nagardas Pragjibhai
Publisher: Mehta Nagardas Pragjibhai

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Page 32
________________ चल चल बारस वारस, लवणे तह धायम्मि ससिसुरा। परयोदहिदीवेसु अ, तिगुणा पुश्विब्बसंजुत्ता ॥११॥ परखित्तं जा समसे-णिचारिणो सिग्घसिग्घतरगणो। दिट्ठिपहमिति खित्ता-णुमाणयो ते णराणेवं ॥१७॥ पणसय सत्तत्तोसा, चजतोससहस्स लकश्गवीसा। पुरकरदीवणरा, पुत्रेण अवरेण पिठंति ॥ १३ ॥ णरखित्तबहिं ससिरवि-संखा करणंतरेहिं वा हो। तह तब य जोइसिया, अचलरूपमाण सुविमाणा ॥१॥ श्ह परिहि तिलरका, सोलसहस्स सयपुरिण पजणअमवीसा। धणुहमवीससयंगुल-तेरससला समहिया य ॥ १५ ॥ सगसय णऊयाकोमी, लरका बप्पएण चजणवश्सहसा। ससयं पगणउकोस, सम्वास ट्ठिकर गणिथं ॥ १६ ॥ वट्टपरिहिं च गणिचं, अंतिमखंमा उसु जिअं च धणुं । बाहुं पयरं च घणं, गणेह एएहिं करणेहिं ॥१७॥ विरकंनवग्गहगुण-मूलं वट्टस्स परिरयो हो। विकंजपायगुणियो, परिरयो तस्स गणिय

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