Book Title: Prakaran Ratna
Author(s): Nagardas Pragjibhai
Publisher: Nagardas Pragjibhai

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Page 10
________________ नोमंतरिक्वमुदगं, ओसा हिम करग हरितणू महिया॥ ति घणोद हिमाई, नेआणेगा या उस्स ॥५॥ इंगाल जाल मुम्मुर, उकासणि कएग विज्जुमाश्या॥अगणिजियाणं नेया, नायबा निजणबुडीए॥६॥ उब्जामग उकलिया, मंडखिमह (मुह) सुद्ध गुंजवायाय घणतणु वायाश्या नेया खलु वाउकायस्त ॥७॥ साहारण पत्तया, वणस्तजीवा पुहा सुहे नणिया ॥ जेसिमणं. ताणं तणु, एगा सादारणा तेऊ ॥ ७॥ कंदा अंकुर किसलय, पणगा सेवाल मूमि फोडा य॥ अवयतिय गज्जर मोत्थ, वत्थुला थेग पद्धंका ए।। कोमलफलं च सव्वं, गूढ सिराई सिणा पता थोहरि कुंआरि गुग्गुलि, गाय पमुदाय छिन्नरहा ॥१०॥ चाणो अणेगे, हवंति नेया अ. पंतकायाणं ॥ तेसिं परिजाणणत्थं, लक्खणमेयं सुए जणियं ।। ११॥ गूढ सिरसंधिपळवं, समन्नंगमहीरुगं च बिन्नरुहं ॥ साहारणं सरीरं, तविव. रीयं च पत्तेयं ॥१२॥ एगसरीरे एगो, जीवो जेसि

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