Book Title: Prachin Chaityavandan Stuti Stavan Sazzay Sangraha
Author(s): Shiv Tilak Manohar Gunmala
Publisher: Shiv Tilak Manohar Gunmala

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Page 5
________________ परम पूज्य मनोहरश्रीजी गुरुभ्यो नमः मालव देशका मोघा मानवन्ता हो । गुरुराज इन्दौर का हीरत्ना ॥ हो मालव का दिवता ॥ हाँ रे शान्त गुरु राज, इन्दौर का हीरत्ना ॥टेकबांकाखेड़ी की भूमि रसाली, जिहा जन्म्याँ गुरुजी महा पुण्यशाली, धन्य पिताजी लक्ष्मण भाई धन्य माताजी मानकु अरबाई हो० ॥१॥ उन्नीसो गुण पचास की साले । आसोज शुक्ल अष्टमी शुभ गुरु वारे ॥ हो०॥२॥ अनुक्रम यौवन पाम्याँ गुरुजी । धर्म की अति लागनी लागी ॥ हो०३ ॥ सुन्दरबाई महिलाश्रम प्रधानाध्यापि का रहीने । बीस वर्ष धर्म शुभ कार्य करीने हो०॥४॥ आगमोद्धारका उपदेश सुनी । संसार की असारता जाणी ॥हो०॥५॥राज नगर से गुरुजी बुलाया। इंदौर शहर में प्रवेश कराया ॥हो०॥६॥ मध्यप्रदेश इन्दौर नगरे। उन्नीसो चौरासी की साले ॥हो॥७॥ फागुण सुदी ५ दिने । पन्यास विजय सागरजी हस्ते दीक्षा धारे हो०॥८॥ गुरु तिलक श्रीजी की शिष्या सुहावे । मनोहर श्रीजी गुरु पाठ दीपावे ॥हो०॥९॥ दीक्षा लेकर विचरया देश विदेशे । बुझयो आपने मालव देशे हो०॥१०॥ गुरु मनोहर श्रीजी नाम है आपका । नाम प्रमाणे गुण है आपका हो। ॥११॥ दो हजार बीस की साले । शिष्या प्रशिष्या मिली गुरु गुण गावे ॥हो०॥१२॥ 0000000000000०००

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