Book Title: Pooja Sangraha Part 1
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Jainoday Buddhisagar Samaj Sanand
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(२५) शिष्यो तेमज, कर्मकऊट वाम्यारे॥शम॥३ ॥ मुनि मेतार्य शमजल पूजा, चेतननी जिम कीधीरे; नाव न्हवण शम चेतन अर्चन, करतां शिवफल सिदिरे ॥शम ॥४॥नावपूजा साधु अधिकारी, व्य नाव दोय श्राइरे; बुद्धिशिव सुख पामे शाश्वत, दोवे निराबाधरे॥शमा५॥
नाश्री परमपुरुषाय परमेश्वराय जन्म जरामृत्युनिवारणाय श्रीमते जिनेंशय जलं यजामहे स्वाहा ॥
॥इति जलपूजा समाप्ता॥
॥अथ वितीय चंदनपूजा प्रारंनः
उहा.
पीजी चंदन पूजना, करतां पाप पलाय%3; मिथ्या दोष अनादिनो, टळतां शिवसुख थाय. पुगल संगे प्रातमा, इनधि युत जाण;
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