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मावष्यवाणी की हुई है । दण्डिने अपने गद्यकाव्यके दशकुमार चरित्र “अस्ति मगध देश शेषरीभूताः पुष्पपुरी नाम नगरी" विशाखदत्तने मुद्राराक्षस नामक नाटममें “सखे विराधगुप्त वर्णयेदानिं कुसुमपुरवृत्तान्तम्” विष्णुशर्माने हितोपदेश नामक नीति ग्रन्थ में भागीरथीतीरे पाटलीपुत्रनामधेयं
"अस्ति
नगरम् "
आदि भिन्नर ग्रन्थोंमें पटनेका उल्लेख किया पाया जाता है। इससे समयका निश्चय करना असम्भव होते हुए भी यह निश्चित है, कि यह प्रसिद्ध नगर बहुत प्राचीन और परम पवित्र स्थान है । अस्तु जैन-: - शास्त्रानुसार पटनेका निर्माण-काल श्रीमहावीर स्वामीके समकाल है । इससे कुछ न्यूनाधिक ३००० वर्ष स्थिर किया जा सकता है । इस महानगरको मगधाधिपति राजा श्रेणिकके पौत्र राजा उदायीने बसाया था । वैदिक शास्त्र (ब्रह्माण्ड पुराण अ० १२६ में ) भी इस राजाका प्रमाण मिलता है:
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“उदायी भविता तस्मात् त्रयोविंश समानृपः । स वै पुरवरं राजा पृथिव्यां कुसुमाह्वयं गंगायः दक्षिणे कुले चतुस्त्र करिष्यति ।" इसका प्रमाण इस प्रकार है !
" मगधान्तर्गत चम्पापुरी नामकी नागरीमें राजा श्रेणिकका पुत्र कुणिक राज्य करता था । यह बड़ाही दानी और धर्माला