Book Title: Parambika Stotravali
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Page 8
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir // इतिश्रीजगजीवनिस्तारकीस्तुतिः समाप्ता // अलौकि ककलानिधिर्वदनरूपईशे तव सदोदययुतोन्वहं प्रकटतापहा री नृणाम् // सतांहृदयपङ्कजप्रमुदितःस्वंयपूर्णितो जयत्य विरतं शिव भवसमुद्रहारिप्रभः // 1 // चकास्त्पतितरां मुखं हरिणलक्ष्महीनःशशी // निजस्मरणरागिणां जननि जाज्य हारीवरः // अपूर्वइहतावकं सुखसमाजसंवर्द्धकः किरत् स्मितसुधारसं जगति पापतापापनुत् // 2 // विरंच्यघटितो द्रुतस्सकलकालशोभाऽन्वित स्तवाननसुधाकरोविषयभावदरं गमः॥ अकामिजनभावितोऽप्यखिलकामसंदोहनो जयत्य धिकरोचिषां पटलमण्डलोऽखण्डलः // 3 // अयं समुदयी सदा वदनचन्द्र ईध्ये शिवे // नितांतमुदयंकरः सकललोक नामः प्रभुः // गुणाकरविभाकरोनिखिलदोषहारी नृणा मना दिनिधनोभवत्ववितापशान्त्यमम // 4 // तवाननसुधानिधिर्हसति विश्ववारां निधि प्रफुल्लति शिवाननं कमलमम्ब कालाम्बुदे ॥प्रकाशति रूपापगामवति दासतापापहा महो स्मितसुचन्द्रिका कडति नीलकण्टं वरा // 5 // तवाननसुधानि धि स्तुतिमिमां त्रितापापहां चकोरनर आलपेन्मुखसुधाकर चिन्तयन् // मुखेन्दुविनिवर्धिते विलसिते रुपासागरे रसं हनुभवत्यसौ सकलकामतृप्तिप्रदम् // 6 // इतिश्रीअलौकि कमुखन्दुचन्द्रिकास्तुतिः समाप्ता // श्रीमहाग्वैभवविधायिनी विजयतेतराम् // करुणायमाननयनां निजमुखकान्तिपराक For Private and Personal Use Only

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