Book Title: Pandav Charitra Mahakavyam
Author(s): Devprabhsuri, Shreyansprabhsuri
Publisher: Smrutimandir Prakashanam

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Page 780
________________ त्यक्त्वा परिशिष्टः [१] पाण्डवचरित्रमहाकाव्यगतगाथानामकाराद्यनुक्रमः ॥] [७६५ तेऽपि त्वामद्भुतश्रीकं ८/११२ | त्यक्तलब्धस्तु ११/३३८ | त्वत्पदे हन्त १३/६६८ तेऽपि वो बान्धवा ९/७२ | त्यक्ते कुन्ती सुते १/५५४ | त्वत्प्रसादामृतैः १०/४३१ तेऽप्यभाषन्त ३/३३२ त्वत्प्राणत्राण- ७/४६४ तेऽप्यभ्यासे १८/१२३ | त्यजन्ति कृतिनः १२/६५ त्वदीयविरहे ११/४३ तेऽप्यूचुः १२/३९ त्यजन्ननायुधं १३/९४ त्वदीयेनैव वेषेण १०/१४५ तेऽप्यूचुरमुना ६/६७९ त्यजामि त्वद्वचोऽति- १/४८ तेऽप्यूचुर्यत्र ६/६५४ त्यज्यते स्म १३/४८० त्वद्वान्तभुवः १२/३७१ १०/१७९ [त्र] त्वद्वियोगासही ५/४५ तैः सङ्ग्रामकृतो- ९/२४० त्रपाबन्धिग्रहात्काम- ६/२९१ | त्वन्नाममन्त्रमश्रान्तं १७/४१ तैरथोज्जागरूका- १३/९८४ त्रपासीमान्तमुल्लङ्घ्य ८/३९७ त्वन्मूर्तिर्यदि १७/४३ तैरश्चं मानुषं १५/९० त्रयाणामपि १३/९७३ ९/३१४ तैरित्यावेदिते- १२/३८ त्रयोदश्याः ११/३७ | त्वमेव वैरिदोर्द- ३/४२३ तैर्जीवयशसो- १२/३४ | त्राणाय शत्रुभिर्यस्य ४/२६२ | | त्वया कक्षीकृतः ११/३५० तैर्विज्ञप्तोऽपि ८/५३३ त्रि:स्रोतःस्रोतसि ३/४६६ | त्वया दुर्योधनो ११/३२३ तैश्च दासेरवत्कर्म ६/९३१ | त्रिजगत्कौतुका- १३/९११ / त्वया पाणौ कृता ११/३०९ तैश्च वित्रासिता- १८/१७५ | त्रिजगत्येकवीरो ३/३८८ | त्वया पुत्र ७/४८४ तैस्तैः शिष्यगुणैः ३/३२२ | त्रिलोकी ७/३९८ | त्वया राजन्निदं १३/५०७ तैस्तैः सुगन्धिभि- १०९१ त्रिलोकीतिलकी- १/२३५ | त्वया हि मम ३/१७७ तैस्तैः स्वादुर- १६/७४ / त्रिश्च प्रदक्षिणीकृत्य १७/३६ | त्वयि देवेन्द्र ८/१०१ तैस्तैरन्योऽन्य- १२/४९५ त्रिषु सिंहासनेष्व- १६/३१९ त्वयि नाथेऽप्य २/१८१ तैस्तैालावृत्ति- १३/५३९ त्रु(त्र)टत्कारक- ७/५३९ त्वयि शौण्डीर्य- १२/३४४ तैस्तैर्हस्तिपको- १२/२३६ त्रुटत्सुभट- १३/८२२ त्वयेदानी १४/३२२ तैस्तैस्तद्भक्ति- ५/१९३ त्रैगर्तान्स्वभुजावर्ते १३/३७६ त्वय्येवौदार्य- ११/३२५ तोरणानि जनैः ५/४८४ त्रैलोक्यत्राण- ७/२०४ त्वरितक्रममायातो १२/२६७ तौ तु गोपालको १२/२७५ ३/६६ त्वर्यतां त्वर्यतां ७/३२२ तौ दूतवचना- १०/४४७ त्वं तु कौन्तेय- १३/१२० त्वां वध्यवेष- ७/५५४ तौ प्रजाभिरदृश्येतां ३/४३३ त्वं तु स्वजनदाया- ११/३१२ त्वां विज्ञाय १४/२७ तौ बाहुवीर्या- ५/१६९ त्वं पुनर्मे ६/१४२ त्वां विधायेन्धनं ७/२९३ तौ मरुद्धिर्निशा- १३/१००२ त्वं पुराऽप्यु- १६/१४ त्वां विधूय १३/६४४ तौ मिथः परिरैभाते ५/४०० त्वं मे मनोरथा- ३/२० त्वां विना १३/१०१० तौ वितत्य भुजौ ४/६६ त्वं यशोदे ! २/२१३ त्वां वीक्ष्य ११/२४६ तौ विस्मयेन ३/३७१ | त्वं विवेकस्य ११/११६ त्वां समुत्सृज्य १/१८८ तौ समाश्वास १६/२३९ त्वत्क्षुरप्रा द्विषां ८/३५८ त्वादृक्षो ७/४९१ तौर्यिकोऽयमिति २/१४१ त्वत्तो ये जन्म १/२०६ त्वादृशा अपि ६/३३३ त्यक्तकुब्जत्व- ६/८३७ त्वत्पदाम्भोरुहद्वन्द्व- १७/४२ | त्वादृशां मृतक- ९/३२७

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