Book Title: Panch Kalyanak Kya Kyo Kaise
Author(s): Rakesh Jain
Publisher: Tirthdham Mangalayatan

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Page 29
________________ सिद्धक्षेत्र के सूचक, पर्वत आदि स्थान पर विराजमान दिखाया जाता है। पश्चात् प्रभु, योग-निरोध करके समस्त कर्मों का अभाव करके मोक्ष पधार जाते हैं - इसकी सूचना हेतु विधिनायक प्रतिमा को वहाँ से उठाकर वेदी पर विराजमान कर देते हैं तथा भगवान के नख और केशों का अग्निकुमार जाति के देव, अग्नि-संस्कार करते हैं । यही मोक्षगमन की विधि है। प्रश्न 32 - मङ्गलायतन विश्वविद्यालय में जिनमन्दिर के साथ बनाये गये कीर्तिस्तम्भ की क्या विशेषता है? उत्तर - इस कीर्तिस्तम्भ में तीर्थङ्कर परमात्मा, आचार्य भगवन्तों एवं ज्ञानी धर्मात्माओं की गौरवशाली परम्परा को चार भाषा में प्रदर्शित किया गया है। प्राकृत, संस्कृत, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में आलेखित यह परम्परा सचमुच जैन शासन का कीर्तिस्तम्भ है। इस गौरवशाली परम्परा से जन-जन को परिचित कराने के उद्देश्य से एवं भविष्य काल तक भी इस परम्परा का परिचय सभी को प्राप्त होता रहे - यह कीर्तिस्तम्भ का उद्देश्य है। प्रश्न 33 - पञ्च-कल्याणक प्रतिष्ठा-महोत्सव से हमें क्या सन्देश प्राप्त होता है? उत्तर - इस महोत्सव में तीर्थङ्कर परमात्मा के पाँच कल्याणकों के अलावा उनके पूर्व भवों का प्रदर्शन भी किया जाता है, जिससे ज्ञात होता है कि एक जीव किस प्रकार आत्माराधना की श्रेणियाँ चढ़ता हुआ मुक्ति जैसी सर्वोच्चदशा प्राप्त कर जगत वन्दनीय बन जाता है। साथ ही इस महोत्सव में जिनवाणी सेवक विद्वानों के द्वारा मुक्तिमार्ग का स्वरूप का एवं उसे प्राप्त करने के उपायों का प्रतिपादन भी होता है। इस प्रकार प्रेक्टीकल एवं

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