Book Title: Paiavinnankaha Part 01
Author(s): Kastursuri, Somchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 9
________________ साहाविअसरलयाए पडिबिंबसारिक्खी सरला तह सरसा सेली तेहिं पूज्जेहिं कहाणं आलेहणे अंगीकया। अप्पाहि अप्पाहिं वक्करयणाहिं कहाणं पढणं सवणं च रोएइ तहच्चिय कहा रइया / पढणेण सद्धि नवाणं नवाणं सद्दाणं धाऊणं च उवजोगेणं बालाणं अब्भासूणं कियापयाणं, विभत्तीण, समासाईणं च नाणंपि होज्जा। वीसमीसईए पाइयभासाए रइया वि कहा पुव्वकालीणा सेलीव्व सेली अनुहोईएज्ज। तओच्चिय ओरिस्सारज्जे मिलियाए विस्सपाइयपरिसइ सिरिभोगीलाल जे. सांडेसरामहोदएहिं एआणं कहाणं संदब्भम्मि अप्पणो वक्खाणे कहिअं "जइ एअस्स गंथस्स अंतम्मि कहाकारेण अप्पकेरो नामोल्लेहो न कारिओ हुँतो, तया एआओ कहाओ कम्मि सयगे लिहियाओ ?, केण विउणा रइया ?, तंचिय पाइयसाहिच्चकाराणं संसोहणविसयो भविस्संतो ? / " आरियसिरिविजयधर्मधुरंधरसूरिहिं पाइयविन्नाणकहाणं बिईयस्स भागस्स आमुखे लिहियं- .. "आयरियसिरिविजयकत्थूरसूरिणो अनुभववुद्धा, पाइयभासाविउणो वागरणागामाइविसयेसु पुण्णतया पहुच्चधारगा य, तेहिं पाइयभासाइ सुवच्चताए गढिया कहाओ हेउपुब्विआओ साराणिया य " इइ। कहावत्थू : एआओ कहाओ आबालगोवाणं सव्वेसिं पढणीया होहिइरे इइ गंथकारेहिं न केवलं धम्मिअआ अंगीकया, परं जावज्जीवं सज्झायरसिययाए लोगुत्तराओ, धम्मिया, लोकिकाओ, एतिहासियाओ तह केसिंचि मुहाओ जओ कइओ वि कहाओ पढिया, सुणिया, जाणिया वा ताओ सव्वाओ संग्गहिया। परं कहापढणप्पारंभओ अंतं जाव हत्थलग्गाव्व रसमइयाओ तु अप्पणो मइविहवेणं अपुव्वाए लेहिणीए सुट्ट कारियाओ। कहासारो : सव्वाणं कहाणं पारंभे पुव्वपरंपरणुसारं कहाणं उद्देसो-आसयो नियरइयाए पाइयगाहाए कहियो, पच्छा संपूण्णा कहा महराए सेलीए लिहिया, अंते च कहासारं जाणविऊण, अप्पणो किं किच्चं ? किं वा अकिच्चं ? एयं सव् उवदेसगस्सव्व कहियं। महुरा वक्खाणयारा एआओ कहाओ वक्खाणे महुरयाए कहिऊण सोयारं मंतमूढ़व्व काऊण जीवणपथदरिसगा वि होइस्सइरे। पुणो मुद्दणनिमित्तं : पूज्जप्पगुरुवराणं (आयरियसिरिविजयकत्यूरसूरीणं) जम्मसयद्दीवरिसम्मि मुंबापुरी-माटुंगामज्झे

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