Book Title: Padarohan Sambandhi Vidhiyo Ki Maulikta Adhunik Pariprekshya Me
Author(s): Saumyagunashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith
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246...पदारोहण सम्बन्धी विधि रहस्यों की मौलिकता आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विराधना आदि दोष लगते हैं। यह साधारण पद नहीं है, अपितु चन्दनबाला
आदि उत्तम साध्वियों के द्वारा धारण किया गया महत्त्वपूर्ण पद है। इस पद के महत्त्व को जानते हुए भी यदि गुरु अयोग्य शिष्या को इस पद पर प्रतिष्ठित करते हैं, वे महापापी हैं और प्रवर्तिनी पद के विराधक बनते हैं। ___ जो साध्वी पूर्वोक्त गुणों से रहित होने पर भी प्रवर्तिनी पद पर आरूढ़ होती है और अंगीकृत पद का विशुद्ध भाव से अनुपालन नहीं करती है वह भी महापापिनी कही गयी है।16 कहने का भाव यह है कि जो ‘प्रवर्तिनी' पद चन्दनबाला आदि महासतियों द्वारा वहन किया गया है, महापुरुषों के नाम से शोभित है, उस पद पर अपात्र की स्थापना करने से उसकी लघुता प्रकट होती है तथा चिरकालीन गरिमा धूमिल हो जाती है। फलत: उसके व्युच्छित्ति का प्रसंग भी उपस्थित हो सकता है। इस कारण पददाता एवं पदग्राही को महापापी कहा है अत: सुयोग्य साध्वी को ही प्रवर्तिनी पद पर आसीन करना चाहिए। प्रवर्तिनीपद हेतु शुभ मुहूर्त का विचार
योग्य साध्वी को किस मुहूर्त में प्रवर्तिनी पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए? इस सम्बन्ध में प्राचीनसामाचारी एवं विधिमार्गप्रपा में कहा गया है कि शुभ तिथि आदि के दिन यह विधि सम्पन्न की जाए किन्तु तद्योग्य शुभ दिनादि कौन-कौन से हैं? इसका वर्णन नहीं किया गया है।
तदुपरान्त विधिमार्गप्रपा में वाचनाचार्यपद-विधि के समान इस पद की आरोपण-विधि बतलायी गयी है उस अपेक्षा से कहा जा सकता है कि जिन शुभ योगों में वाचनाचार्य पद की स्थापना की जाती है उन्हीं श्रेष्ठ दिनों में प्रवर्तिनी पद की स्थापना की जानी चाहिए। प्रवर्तिनी द्वारा अनुपालनीय नियम ___ व्यवहारसूत्र में प्रवर्तिनी के कतिपय नियम बतलाते हुए कहा गया है कि प्रवर्तिनी हेमन्त (शीतकाल) और ग्रीष्म ऋतु में कम से कम दो साध्वियों के साथ रहने पर ही विचरण कर सकती है, यदि एक साध्वी साथ हो तो विहार करने का निषेध है। प्रवर्तिनी के लिए वर्षावास में कम से कम तीन साध्वियों का साथ रहना आवश्यक है। यदि दो साध्वियाँ साथ हों तो पृथक् रूप से वर्षावास करना नहीं कल्पता है।17