Book Title: Oswal Jati Ka Itihas
Author(s): Oswal History Publishing House
Publisher: Oswal History Publishing House

View full book text
Previous | Next

Page 1361
________________ सिंधी-बावेल पुत्र दुल्हेसिंहजी तथा वेरीसालसिंहजी विद्यमान हैं । आप दोनों सजनों ने जोधपुर में ही शिक्षा पाई। इस समय कोठारी दुलहसिंहजी जोधपुर सायर में कस्टम आफीसर हैं। और कोठारी वेरीसालसिंहजी जोधपुर स्टेट के असिस्टेंट स्टेट आडीटर हैं । आप जोधपुर के शिक्षित समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त व्यक्ति हैं। कोठारी दुल्हेसिंहजी के पुत्र कुँवर दौलतसिंहजी, देवीसिंहजी, सजनसिंहजी तथा रघुवीरसिंहजी हैं। इसी प्रकार कोठारी वेरीसालसिंहजी के पुत्र कुंवर कुशलसिंहजी, कोमलसिंहजी, केशवसिंहजी तथा कंचनसिंहजी हैं। कुशलसिंहजी के पुत्र भंवर स्वतंत्र कुमार हैं। इसी तरह इस परिवार में गुलाबचन्दजी कोठारी के पुत्र राजसिंहजी और पौत्र उम्मेदसिंहजी तथा मनोहरसिंहजी हुए। मनोहरसिंहजी के पुत्र धर्मसिंहजी हैं। कोठारी हीराचन्दजी के खुमानसिंहजी, निधराजसिंहजी, सालासहजी और दलेलसिंहजी हुए । तथा दलेलसिंहजी के तजेराजसिंहजी, नगेन्द्रसिंहजी, चन्द्रवीरसिंहजी और सूर्यवीरसिंहजी नामक पुत्र हुए। सिंघी (बावेल) खानदान, शाहपुरा (मेवाड़) इस परिवार के पूर्वज सेठ झांझणजी बावेल"पुर" में निवास करते थे। संवत् १५६५ में आपने एक संघ निकाला, अतः इनका परिवार सिंघी कहलाया। भापकी सोलहवीं पुश्त में देवकरणजी हुए। आप "पुर" से शाहपुरा आये। आपके साथ आपकी धर्मपत्नी लखमादेवीजी संवत् १७६९ में सती हुई। इनकी तीसरी पुरत में नानगरामजी हुए । आप बड़े वीर और पराक्रमी पुरुष हुए। कहाजाता है कि संवत् १८२५ में उदयपुर की ओर से उज्जैन में सिंधिया फौज से युद्ध करते हुए आप काम आये थे। आपको शाहपुरा दरबार ने ताजीम दी थी । आपके पुत्र चतुरभुजजी, चन्द्रभानजी, इन्द्रभानजी और वर्द्धभानजी हुए। सिंघी चतुरभुजजी का परिवार-आप भी अपने पिताजी की तरह प्रतिष्ठित हुए। आपको उदयपुर महाराणाजी ने शाहपुरा दरबार से १५०० बीघा जमीन जागीर में दिलाई। आपने अपनी जागीरी में “आई” नामक गाँव बसाया, जो भोज "सिंधीजी के खेड़े" के नाम से बोला जाता है। भाप शाहपुरा के कामदार थे। उस समय आपको मोतियों के आखे चढ़ाये थे। आपके गिरधारीलालजी, समरथसिंहजी, सूरजमलजी, अरीमलजी, गाढमलजी और जीतमलजी नामक ६ पुत्र हुए। इनमें सिंधी समरकसिंहजी बड़े सीधे व्यक्ति थे। स्थिति की कमजोरी के कारण आपने पुश्तैनी "ताजीम" विनय पूर्वक वापस करदी। इनके पुत्र महताबसिंहजी के सवाईसिंहजो और केसरीसिंहजी नामक २ पुत्र थे। सवाईसिंहजी ने टम तथा तहसीलदारी का काम बड़ी होशियारी से किया। संवत् १९५७ में आप स्वर्गवासी हुए। केसरीसिंहजी के पुत्र इन्द्रसिंहजी, सोभागसिंहजी और सुजानसिंहजी हुए । इममें इन्द्रसिंहजी, सवाईसिंहजी के नाम पर दसक गये । आप स्टेट ट्रेशर और खासा खजाना के आफीसर थे। आपके नाम पर आपके भतीजे (सोभागसिंहजी) के पुत्र मदनसिंहजी दत्तक आये । इस समय आप शाहपुरा में सिविल जज हैं। सिंघी सुजानसिंहजी का जन्म संवत् १९३३ में हुआ। आप राजाधिराज उम्मेदसिंहजी के कुवर पदे में हाउस होल्ड आफीसर थे। इस समय आप स्टेट के रेवेन्यूमेम्बर हैं। आपके पास सिंघीजी का खेड़ा तो जागीर में है ही। इसके अलावा दरबार ने आपको, हजार की रेख की जागीर इनायत की है।

Loading...

Page Navigation
1 ... 1359 1360 1361 1362 1363 1364 1365 1366 1367 1368 1369 1370 1371 1372 1373 1374 1375 1376 1377 1378 1379 1380 1381 1382 1383 1384 1385 1386 1387 1388 1389 1390 1391 1392 1393 1394 1395 1396 1397 1398 1399 1400 1401 1402 1403 1404 1405 1406 1407 1408