Book Title: Niyam Sara
Author(s): Vijay K Jain
Publisher: Vikalp
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Niyamasāra
नियमसार
Name of the Scripture
कारिका/श्लोक/गाथा
क्रमांक
Page
185
Ācārya Pujyapāda's Samadhitantram (contd.)
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190
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197
198
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(७०) --- यदग्राह्यं न गृह्णाति गृहीतं (२०) --- यत्त्यागाय निवर्तन्ते (९०) --- क्षीयन्तेऽत्रैव रागाद्यास्तत्त्वतो (२५)
प्रच्याव्य विषयेभ्योऽहं मां (३२) --- तथैव भावयेद्देहाद्... (८२) --- यदा मोहात्प्रजायेते (३९) --- स्वबुद्ध्या यावद्गृह्णीयात् (६२) --- यस्य सस्पन्दमाभाति (६७) --- रागद्वेषादिकल्लोलैरलोलं (३५) --- अविक्षिप्तं मनस्तत्त्वं (३६) --- त्यक्त्वैवं बहिरात्मानम... (२७) --- देहान्तरगते/जं
(७४) --- बहिस्तुष्यति मूढात्मा (६०) --- यदन्तर्जल्पसंपृक्तमुत्प्रेक्षा... (८५) --- जनेभ्यो वाक् ततः स्पन्दा (७२)
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Acārya Samantabhadra's Ratnakarandakaśrāvakācāra
--- सदृष्टिज्ञानवृत्तानि धर्मं (३) --- श्रद्धानं परमार्थानामाप्त... (४) --- क्षुत्पिपासाजरातङ्कजन्म... (६) --- आप्तेनोच्छिन्नदोषेण (५) --- परमेष्ठी परंज्योतिर्विरागो (७) --- आप्तोपज्ञमनुल्लंघ्यम... (९) --- रागद्वेषनिवृत्तेहिंसादिनिवर्त्तना (४८ ) --- गृहकर्मणापि निचितं कर्म (११४) --- विद्यादर्शनशक्तिस्वास्थ्य... (१३२) --- अनात्मार्थं विना रागैः (८)
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