Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 01
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 91
________________ नीति-शिक्षा-संग्रह जिस जीव के कोई कर्म नहीं रहता है, मन वचन और शरीर नहीं होता है तथा जिसे कुछ भी करना बाकी नहीं रहा है,जिसे फिर संसार में माना नहीं रहा है, तथा जो राग द्वेष रहित है, वही ईश्वर है। 11 संसार के सब प्राणी केवल एक सेर अन्न और एक टुकड़े वस्त्र के लिए चिन्तामणि रत्न के समान इस अमूल्य समय को खो रहे हैं और मात्मा के हित की परवाह नहीं करते। 12 तीन बातें यश को बढ़ाने वाली हैं--- अपनी प्रशंसा न करना, दुर्जन की भी निन्दा न करना, तथा दुःखी जीवों का दुःख दूर करना। 13 तीन बातें धर्म पर श्रद्धा कराने वाली हैं ---- अन्तःकरण में दया रहना, इन्द्रियों का वैराग्य से दमन करना और सत्य बोलना। 14 तीन बातें जीव को कलियुग में सुख देनेवाली हैं- जीभ को वश में रखना, अधिक लोभ न करना, विना विचारे कोई काम न करना। 15 तीन बातें जीव को सच्चा धर्म प्राप्त कराती हैं- सत्य बात को मानना और झूठी को छोड़ना, तत्वज्ञान का अभ्यास करना, वीतराग धर्म को पालने वाले परिग्रह रहित गुरु का उपदेश सुनना। 16 संसार रूपी कूट वृक्ष के दो ही अमृत फल हैं- मीठे और प्यारे वचन तथा सत्पुरुषों की संगति / 17 जो मनुष्य अनेक भवों (जन्मों) में दान देने, विद्या पदने,

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