Book Title: Nishith Sutram
Author(s): Ghasilalji Maharaj, Kanhaiyalalji Maharaj
Publisher: Jain Shastroddhar Samiti

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Page 518
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे भिक्खू असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा परिवासेइ परिवासें वा साइज्जइ ॥७८॥ जे भिक्खू परिवासियस्स असणस्स वा पाणस्स वा खाईमस्स वा साइमस्स वा तयप्पमाणं वा भूइप्पमाणं वा बिंदुप्पमाणं वा आहारं आहारेइ आहारेंतं वा साइज्जइ । जे भिक्खू मंसाइयं वा मच्छाइयं वा मंसखलं वा मच्छखलं वा आहेणं वा पहेणं वा संमेलं वा हिंगोलं वा अन्नयरं वा तहप्पगारं विरूवरूवं वा हीरमाणं पेहाए ताए आसाए ताए पिवासाए तं रयणि अण्णत्थ उवाइणावेइ उवाइणावेंतं वा साइज्जइ १८० जे भिक्खू निवेयणपिंडं भुंजइ भुजतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू अहाछंदं पसंसइ पसंसंतं वा साइज्जइ ॥८२॥ जे भिक्खू अहाछंदं वंदइ वंदंतं वा साइज्जइ ॥८३॥ जे भिक्खु णायगं वा अणायगं वा उवासंग वा अणुवासगं वा अणलं पन्वावेइ पवावेतं वा साइज्जइ ॥८४॥ जे भिक्ख णायगं वा अणायग वा उवासगं वा अणुवासगं वा अणलं उवहावेइ उवद्यावेतं वा साइज्जइ ॥८५॥ जे भिक्खु णायगेण वा अणायगेण उवासएण वा अणुवासरण वा अणलेण वेयावच्च कारावेइ कारावेतं वा साइज्जइ ॥८६॥ जे भिक्खू सचेले सचेलगाणं मज्झे संवसइ संवसंतं वा साइज्जइ ॥८॥ जे भिक्खू सचेले अचेलगाणं मज्झे संवसइ संवसंत वा साइजइ ॥८॥ जे भिक्खू अचेले सचलगाणं मज्झे संवसइ संवसंतं वा साइज्जइ ॥८९॥ जे भिक्खू अचेले अचेलगाणं मज्झे संवसइ संवसंतं वा साइज्जइ ॥१०॥ जे भिक्खू परिवसियं पिप्पलिं वा पिप्पलिचुण्णं वा सिंगबेरं वा सिंगबेरचुण्णं वा विलं वा लोणं उब्भियं वा लोण आहारेइ आहारेत वा साइज्जइ ॥९१॥ जे भिक्खू गिरिपडणाणि वा मरुपडणाणि वा भिगुपडणाणि वा तरुपडणाणि वा गिरिपक्खंदणाणि वा मरुपक्खंदणाणि भिगुपक्खंदणाणि वा तरुपक्खंदणाणि वा जलपवेसाणि वा जलणपवेसाणि वा जलपक्खंदणाणि वा जलणपक्खंदणाणि वा विसभक्खणाणि वा सत्थोपाडणाणि वा वलयमरणाणि चा वसहाणि वा तब्भवमरणाणि वा अंतोसल्लमरणाणि वा वेहायसाणि वा गिद्धपट्टाणि वा जाव अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि बालमरणाणि पसंसइ पसंसंत वा साइज्जइ ॥९२॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्याइयं ॥९३॥ ॥निसीहज्झयणे एगारसमो उद्देसो समत्तो॥११॥ For Private and Personal Use Only

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