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श्रीमद्वाग्भटविरचित नेमिनिर्वाणम् : एक अध्ययन का भी प्रयोग किया गया है । इस काव्य में प्राकृत के गद्य-पद्य भी आ गये हैं । इसमें महाकाव्य के नियमों का पालन नहीं हुआ है । ऐसा प्रतीत होता है कि कवि को शास्त्रीय ज्ञान नहीं था। रचयिता : रचनाकाल
__पुण्डरीक चरित काव्य के रचयिता का नाम “कमलप्रभसूरि" है। वे पूर्णियागच्छ के रत्नप्रभसूरि के शिष्य थे । ग्रन्थ प्रशस्ति में इन्होंने अपनी लम्बी गुरु परम्परा दी है। पुण्डरीकचरित की रचना कवि ने गुजरात प्रांत के धवलक (धोलका) नगर में वि० सं० १३७२ (१३१५ ई०) में की थी। ५३. महापुरुषचरित': (मेस्तुंग सूरि)
यह चरित ५ सर्गात्मक काव्य है । इसमें ऋषभदेव, अजितनाथ, नेमिनाथ, पार्श्वनाथ और महावीर इन पाँच तीर्थङ्करों का जीवन चरित वर्णित है। ५४. कामदेवचरित': (मेस्तुंग सूरि) ___यह चरित भगवान महावीर के समकालीन एक धनी धार्मिक गृहस्थ कामदेव पर रचित है । इसका रचनाकाल वि० सं० १४०९ (१३५२ ई०) है । ५५. संभवनाथचरित': (मेस्तुंग सरि)
तृतीय तीर्थकर संभवनाथ पर रचित यह चरितकाव्य है जो वि० सं० १४१३ (१३५६ई०) में रचित है। रचयिता : रचनाकाल
उपर्युक्त तीनों चरितकाव्यों के रचयिता मेरुतुंगसूरि हैं । ये अंचल गच्छ के आचार्य है। कामदेवचरित तथा संभवचरित की रचनाओं के आधार पर इनका समय १४वीं शताब्दी है। ५६. शान्तिनाथचरित': (मुनि भद्र सूरि)
इस महाकाव्य में १८ सर्ग हैं जिसमें स्तुतियों का प्राधान्य है । अवान्तर कथाओं का भी प्रयोग हुआ है । भाषा प्रौढ़, सालंकार और स्वाभाविक है । कवि ने इस काव्य की रचना, रघुवंश महाकाव्य, किरातार्जुनीय, शिशुपालवध और नैषधीयचरित के समकक्ष जैन साहित्य में काव्य निर्माण के लिए की है। रचयिता : रचनाकाल
यह चरितकाव्य “मुनिभद्रसूरि" रचित है । ग्रन्थ प्रशस्ति में मुनिभद्रसूरि ने अपना परिचय दिया है । ये वृहद्गच्छ के गुणभद्रसूरि के शिष्य थे । इन्होंने शान्तिनाथचरित की रचना वि०
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१.जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग -६, पृ० - १८२ २.जिनरत्मकोश, पृ०-८४ ३.वही, पृ०-वही ४.जिनरलकोश, पृ०-४२२ ५.यशोविजय जैन ग्रन्थमाला बनारस ० नि० संवत् २४३७ में प्रकाशित ६.शान्तिनधचरित, प्रशस्ति पद्य,१३-१४