Book Title: Nav Padarth Author(s): Shreechand Rampuriya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ द्वितीय संस्करण का प्रकाशकीय प्रस्तुत ग्रन्थ का प्रथम संस्करण तेरापंथ द्विशताब्दी समारोह के अभिनन्दन में भाद्रशुक्ला त्रयोदशी, वि० स० २०१८ को प्रकाशित हुआ था। ग्रन्थ की एक प्रति प्रसिद्ध विद्वान् डॉ० नथमल टांटिया के माध्यम से जैन दर्शन के लब्ध-प्रतिष्ठित विद्वान् लखनऊ निवासी डॉ. ज्योति प्रसाद जैन के पास पहुंची। उन्होंने इसका आद्योपान्त अवलोकन कर एक विस्तृत पत्र में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए ग्रन्थ को अपने विषय की अद्वितीय कृति के रूप में आदृत किया। वर्षों से ग्रन्थ को पारमार्थिक शिक्षण संस्था के पाठयक्रम में स्थान प्राप्त है। इस दृष्टि से विद्यार्थियों के लिए भी यह उपादेय सिद्ध हुआ है। __बिदासर निवासी स्व० श्री हाथीमलजी सेठिया ने इसके प्रकाशन के बाद ही आद्योपान्त अवलोकन कर कई महत्त्वपूर्ण सुझाव दिए थे, जो तब से मेरे पास सुरक्षित थे। मेरी द्वितीय पुत्री श्रीमती जतन (धर्मपत्नी स्व० मिलापचंदजी जम्मड़, सरदारशहर) ने हाल ही में ग्रन्थ का आद्योपान्त स्वाध्याय कर कई प्रमार्जन सुझाए । मैं उक्त दोनों के प्रति आभार व्यक्त करता हूं। ___ अब यह द्वितीय संस्करण उक्त सुझावों को समाहित करते हुए प्रकाशित है। मैं आशा करता हूं जैन तत्त्व दर्शन के जिज्ञासुओं के लिए यह ग्रन्थ उपादेय सिद्ध होगा। ग्रन्थ के मूल लेखक आचार्य भिक्खु-आचार्य भिक्षु का मूलनाम आचार्य भीखणजी था। ग्रन्थ में उनके लिए स्वामीजी, आचार्य भीखनजी, आचार्य भिक्खु, आचार्य भिक्षु शब्दों का प्रयोग हुआ है, जो सब मूल लेखक के द्योतक हैं। श्रीचन्द रामपुरिया रामपुरिया कॉटेज सुजानगढ़ दिनांक १४-२-६७, १३३वां मर्यादा महोत्सवPage Navigation
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