Book Title: Namaskar Swadhyay Sanskrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 19
________________ यन्त्र-चित्र परिचय ग्रंथनी शरूआतमां आपेल प्रथम छ चित्रोनो क्रमानुसार परिचयः(१) पुरुषादानीय प्रभु श्रीपार्श्वनाथः [नीलवर्णीय] आ कलामय अने मनोहर चित्र चित्रकार श्रीरमणलाले अहीं संस्था (जैन साहित्य विकास मंडळ मुंबई) मां पोतानी कल्पनाथी दोरेल छ / चित्रनी मुखाकृति अत्यन्त भाववाही अने आकर्षक होवाथी अत्रे रजू करवामां भावेल छ। (2) श्री पद्मावती देवी नालन्दा (बिहार) ना एक देवीना चित्र उपरथी चित्रकार पासे योग्य फेरफार करावी अहीं पद्मावती देवीरूपे रजू करवामां आवेल छ। (3) परितोमथुरास्तूपद्वारसुशोभनविभूषितपञ्चमङ्गलमहाश्रुतस्कन्धसूत्रम् विन्सेन्ट ए. स्मिथ रचित "The Jaina Stupa and other Antiquities of Mathura (Archaeological Survey of India, New Imperial SeriesVolume XX; published in 1901) नामना परिचयात्मक ग्रंथनी प्लेट नं. XII परथी मा चित्र तैयार करवामां आव्युं छे। जेतुं छे एवं ज प्रवेशद्वार दोरवामां आव्यु छे, फक्त नीचे तेनी बे बाजुए बनावेल रक्षिकाओ आ प्लेटमा नथी / स्तूपना आ प्रवेशद्वारनी उपर तोरण छे अने तेनी उपर बन्ने बाजु 'तिलकरत्न'छे, जे 'भष्टमंगल' पैकी एक मंगल छे। आq 'तिलकरत्न' आ सिवाय बीजी घणी प्लेटोमां (दा. त. VI, VII, x, xI) जोवा मळे छे। बे 'तिलकरत्न'नी वच्चे 'श्रीवत्स' मूकवामां आवेलुं छे। प्रवेशद्वारनी वच्चे नमस्कारनो मूल पाठ सुशोभित रीते स्थापित कयों छे। आ चित्रनी प्लेटने मथाळे नीचे प्रमाणे लखेलुं छे: - " Ayagapata or 'Tablet of Homage' The gift of Sivayasa the wife of the Dancer Phaguyasa" (4) श्री श्रेयांसनाथ भगवान् संस्थाना माननीय प्रमुख शेठ श्रीअमृतलाल कालिदास दोशीना विलेपार्लेना गृहमंदिरमा श्री - श्रेयांसनाथ भगवाननी 13 इंच प्रमाण पंच धातुनी सुशोभित अने भव्य प्रतिमा मूलनायक तरीके विराजमान छ। तेनो परिकर अत्यन्त मनोहर अने कलापूर्ण छ। तेनुं समग्र चित्र अत्रे रजू करवामां आबेल छे। ते प्रतिमानी पाछळनो लेख नीचे प्रमाणे मळे छे: संवत् 1579 वर्षे वैशाख सुदि 6 सोमे श्रीपत्तनवास्तव्य श्रीश्रीमालीज्ञातीय श्रे. ठाकरसी भार्या खीमाई सुत बाधान भीश्रेयांसनाथ बिम्बं कारापितं / प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः॥ श्रीः | * नोट-परिकरना उपरना भागनो पाछलो (1) लेख अन नीचेना भागनो पाछलो (2) लेख नीचे प्रमाणे छ :(1) संवत् 1579 वर्षे वैशाख सुदि 6 सोमे श्रीपत्तनवास्तव्य श्रीश्रीमालीशातीयपूर्वज श्रे. सूरा श्रे. सांगण श्रे. मुलासी / श्रे. देपालान्वयनमो. नभोमणि पुण्यपुण्यकार्यकारण दक्ष श्रे. ठाकरसी भार्या खीमाई सुतश्रे. वाधाकेनाग्रजभ्रातृ श्रे. सिंहा श्रे. मेघा भ्रातृव्य श्रे. भुजबळ श्रे. नाकरघुसा सुत श्रे. हीरजी वीरा प्रमुख कुटुंबयुतेन श्रीश्रेयांसनाथविम्ब कारापितं स्वयसे / प्रतिष्ठितं श्रीसूरिभिः / / श्रीः // (2) संवत् 1579 वर्षे वैशाख सुदि 6 सोमे श्रीपत्तनवास्तव्य श्रीश्रीमालीशातीय श्रे. ठाकरसी भार्या खीमाई सुत वाघाकेन भार्या मनाई सुत हीरजी वीरजी प्रमुख कुटुम्बयुतेन श्री श्रेयांसनाथस्य सिंहासनं कारापितं निर्भरभक्तिभरण प्रतिष्ठित श्रीसरिमिः // शुभं भवतु // श्रीः / /

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