________________ साहित्यदर्पणम् 'चन्द्रकला संस्कृत-हिन्दी व्याख्या सहित व्याख्याकार-आचार्य शेषराजशमो रेग्मी कालिदासादि महाकवियों के कतिपय प्रन्यों के ख्याति प्राप्त व्याख्याकार ने आधुनिक पठन-पाठन के अनुरूप अनावश्यक विस्तार न करके सुबोध संस्कृत एवं हिन्दी व्याख्या प्रस्तुत की है। व्याख्या में सरलता लाने का भरपूर प्रयास किया गया है। इसकी पाण्डित्यपूर्ण विचारों से ओत-प्रोत समीक्षात्मक विशद भूमिका में ग्रन्थ के गम्भीर अध्ययन एवं शोध के परिणाम उपन्यस्त हैं। परीक्षार्थी छात्रों के लिये तो इसकी हिन्दी व्याख्या ही पर्याप्त है। 1-6 परिच्छेद 50-00, 7-10 परिच्छेद 40-00, संपूर्ण 10-00 दशकुमारचरितम् "चन्द्रकला संस्कृत-हिन्दी व्याख्या सहित ___आचार्य शेषराज शर्मा कृत इस के सावतरण व्याख्या में एक-एक पद के दो-दो पर्याय, समास,, विग्रह, भावार्थ, व्याकरण तथा कोश का भी यथास्थल समुचित प्रयोग किया गया है। उत्तर पीठिका शीघ्र, पूर्वपीठिका 8-00 वेणीसंहार-नाटकम् सटिप्पण 'कमलेश्वरी' संस्कृत-हिन्दी व्याख्या सहित व्याख्या-डॉ० बालगोविन्द झा भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों में संस्कृत पाठ्यक्रम के अन्तर्गत यह नाटक निर्धारित है, अतः छात्रों की आवश्यकता को ध्यान में रखकर विद्वान् लेखक ने अपने अध्यापनानुभव से संस्कृत-हिन्दी उभय व्याख्याओं के माध्यम से छात्रों को वेणीसंहार के अध्ययन कादरा-पूरा लाभ प्राप्त हो सके, इसी लक्ष्य से टीका लिखी है / नाटक के अन्तर्गत संवादों व श्लोंकों के व्याख्याकम में अन्वय, प्रतिशब्द, कोश, छन्द एवं अलंकार का निर्देश तथा विशद विवेचनात्मक टिप्पणी द्वारा गंभीर भावों को सर्वजन वेद्य बनाने की चेष्टा की गई है। भूमिका भाग में कवि एवं उनकी कृति से संबद्ध ऐतिहासिक विवेचन भी सविस्तार प्रस्तुत किया गया है, जो उपलब्ध किसी भी संस्करण में देखने को नहीं मिलता 20-00 कृष्णदास अकादमी चौक, (चित्रा सिनेमा बिल्डिग), वाराणसी-१