Book Title: Naishadh Mahakavyam Uttararddham
Author(s): Hargovinddas Shastri
Publisher: Chaukhambha Sanskrit Series Office

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Page 920
________________ श्लोकानुक्रमणिका 1617 स्वयंवरमहे 17/113 | स्वानुराग 21148 हस्तौ विस्तार 17 / 24 स्वयंवरं भीम 1015 स्वापराध 18129 हारसाधिम 1841 स्वयंवरस्या 101112 स्वारसातल 5641 हासस्विरेवा 2061 स्वयंवरोद्वाह 12 / 24 स्विद्यत्करा 201144 / हिंसागवीं 171173 स्वयंकथा 16354 स्विद्यत्प्रमोदा 60 | हितगिरं 41103 स्वयं तदङ्गे 1548 स्वेदः स्वदेहस्य 1419 हित्वा दैत्य 12 / 37 स्वरिपुतीचण 064 स्वेदबिन्दुकित 18116 | हित्वैकमस्या 8111 181123 स्वरुचा स्वेदमाजि 2 / 99 हित्वैव वस्मक 6 / 24 स्वरेण वीणे स्वेदवारि 18118 15.44 हुताशकीनाश 6.75 22 / 91 स्वेदस्य धारा स्वर्गापगा 3 / 10 हृतसारमिवे 2 / 25 स्वेदप्लव 211123 स्वगं सतां 6198 हृत्तस्य यां मन्त्र 3107 स्वर्णकेतक स्वेन पूर्यंत 21:59 2142 हृदय एव 4 / 108 स्वर्णदीस्वर्ण स्वेन भाव 18111 20169 हृदयदत्त. 4 / 21 स्वर्णेवितीण: स्वेप्सितोद्गमित 1887 हृदयमाश्र 4/75 स्वर्भानुना 22 // 136 हृदामिनन्य 9 / 17 स्वर्भानुप्रति 22 / 148 इंसं तनौ हृदि दमस्वसु 4|13 34 स्वलोकमस्मा 327 हंसोऽप्यसौ 447 हृदि लुठन्ति स्ववर्णना 22 / 104 हतः कयाचित् 6 // 29 हृदि विदर्भभुवं 4119 19 स्ववालभार 125 हताश्चेदिवि 17172 हृदि विदर्भभुवो 125 स्वस्ति वास्तो 171112 हरित्पतीनां 8.55 हृद्यगन्धवह 2181 स्वस्यामरै 14196 हरिद्विपद्वीपि 166 हृष्टवान्स 17.198 स्वागमार्थ 181117 हीणमेव 17 / 49 हरिन्मणे 16166 स्वाङ्गमर्पयितु 1876 हरिं परित्यज्य 9 / 43 हीणा च 20122 स्वाच्छन्। ___88 हरेयंकामि 170 हीभरात् 1835 स्वात्मनः 21127 / हयंतीभवतः 221137 हीसङ्कुचत् 11123 स्वास्मापि 18 / 32 8 // 21 हसत्सु भैमी 14 // 34 हीसरिलिज स्वादूदके 11127 / हस्तलेख 21166 / होस्तवेयमुचि 18159 इति श्लोकानामकाराद्यनुक्रमणिका सम्पूर्णा 898 3 / 10

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