Book Title: Muni Shree Gyansundarji
Author(s): Shreenath Modi
Publisher: Rajasthan Sundar Sahitya Sadan

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Page 59
________________ (५३) " श्री मारवाड़ तीर्थ प्रबंधकारिणी कमेटी" स्थापित हुई। जिसकी देखरेख में मारवाड के ७८ मन्दिरों का निरीक्षण हुमा तथा त. सम्बन्धी रिपोर्ट आदि भी तैयार हुई। किन्तु कार्य कर्ताओं के अभाव से कार्य रुक गया अन्यथा आज मारवाड़ के तीर्थोकी सोचनीय दशा कदापि दृष्टिगोचर नहीं होती। इस वर्ष आपने अठ्ठम ३ छठ ७ तथा फुटकल तपस्या भी की थी। ___ इस चातुर्मासका वर्णन करता हुआ महात्मा बालचन्दने एक कविता बनाइ थी वहबन्दो ज्ञानसुन्दर महाराज । समोसरण रचाने वाले । टेर । नगर नगीना भारी । हैं शहर बड़ा गुलजारी। जैन मन्दिरोंकी छबी न्यारी । भवोदधि पार लगानेवाले । वं. ।। गुरु ज्ञानसुन्दर उपकारी । कई तार दिये नर नारी। शुभ भाग्य दशा हमारी। धर्मकी नाव तिरानेवाले ।व।२। साल इक्यासी है खासा । हुआ नगीने शहर चौमासा । सफल हुई संघ की आशा । धर्मका झंडा फहरानेवाले । वं.। ३ । सूत्र भगवतीजी फरमावे । श्रोता सुण के आनन्द पावे। ये तो जन्म सफल बनावे । अमृत रस वरसानेवाले ।.। ४ । पूजा प्रभावना हुई भारी । तप तपस्या की बलिहारी । स्वामिवात्सल्य है सुखकारी। धर्मोप्रति करानेवाले ।। ५ । मन्दिर चौसटजी का भारी । बनी है समवसरण की तय्यारी । हांडी कांच झूमर है न्यारी । स्वर्ग से वाद वदाने वाले । वं. 1 ६ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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