Book Title: Mumukshu Nitya Karma
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 15
________________ वी तृष्णाने स्वाधीन थईश तो, बीजी तेहेवी वस्तु अयोग्य रीते ग्रहण करवाने पण लज्जा पामीश नहीं, माटे मने अनादि सुख आपनार पदार्थनी प्राप्ती थवानो संभव छे, तो आवा क्षणभंगुर नाशवंत पदार्थमा प्रिति करवी, ए केवळ भ्रमितपणुं अने अज्ञान छे. वळी एवो विचार करवो जे, हुं देह तथा इंद्रि आदिकना सुख दुःखनो भोक्ता नथी, तेथी मने एवां सुख दुखो विक्षेप करी शकवाना नथी. एवी रीते बीजा पंच विषयनी

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