Book Title: Mumbaima Bharayeli Biji Jain Shwetambar Conferenceno Report
Author(s): Jain Shwetambar Conference Office
Publisher: Jain Shwetambar Conference Office

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Page 194
________________ ( ६९ ) ऐसा हा लौकिक कदा राखवेना । पतितपावन देवराया ॥ १ ॥ संसार करितां ह्मणती हा दोषी । टाकितां आळसी पोटपोसा ॥ २ ॥ आचार करितां ह्मणती हा पसारा । न करितां नरा निंदिताती ॥ ३ ॥ संतसंग करितां ह्मणती हा उपदेशी । येरा अभाग्यासी ज्ञान नाहीं ॥ ४ ॥ धन नाहीं त्यासी ठायींचा करंटा * समर्थासि ताठा लाविताती ॥ ५ ॥ बहु बोलों जातां ह्मणति हा वाचाळ । न बोलतां सकळ ह्मणती गर्वी ॥ ६ ॥ भेटिसि नवजातां ह्मणती हा निष्ठुर । येतां जातां घर बुडविलें ॥ ७ ॥ लग्न करूं जातां ह्यणती हा मातला । न करितां जाला नपुंसक ॥ ८ ॥ निपुत्रिका ह्मणती पहा हो चांडाळ । पातकाचें मूळ पोरवडा ॥ ९॥ लोक जैसा ओक धरितां धरवेना । अभक्ता जिरेना संतसंग १० ॥ तुका ह्मणे आतां ऐकावें वचन । त्यजुनियां जन भक्ति करा ॥ ११ ॥ इणरो भावार्थ कांई हे के, थे जो धर्ममांय गाढा रेवो तो दुनया केंवें के मुरख है; थांरी जो धर्मऊपर सरधा नहीं हुवे तो केवे के नास्तिक, नादान है; तुमे जो घणा बोलोला तो केवे के बके हे; तुमे जो चिपचाप बेठोला तो केवे के अहंकारी है. साहेबहो, दुनया खरो - खर तुकाराम महाराज केवे तिण मुजब दुरंगी है. शिवपार्वती ओर नंदीरी बात आप शिरदार जाणताज हुसो. कविरा साथ अपां पिण केसां 'Give unto me, made lowly wise, “ The spirit of self-sacrifice, "L The confidence of Reason give, " And in the light of Truth Thy Bondman let me live. " मालिनीवृत्त ( भावार्थ ) स्वकृत. ८८ सबल अब भरोसां सद्विवेकांसु झारा उपकृति करूं सूं सात्रमें लीन प्यारा । बहु बिनयसुं राज्यो ग्यानरी भूख हो हे प्रभु बिनाते सुणो थे दास हूं आपरो म्हे ॥ तिणवास्ते दुनयारे बोलरी पर्वा राखणी ओ धीरज — नैतिक धीरज -- नेकीरो धीरज नहीं है. श्रीमहावीरस्वामी, तुकाराम ओर लुथरसाहेब इणां दुनयारी परवा कित्री किनी ? दुनयासुं डरोला तो पग रखणानेबी जगा मिळेला नहीं. ह्यारा प्यारां साहेबां, धीरजसुं गुंध्योडी 'सेंसाररी ऊंची कल्पना' कमावणसारुं आगली पिढी गाढा मारुजी - आगली पिढीरा सिरदार आगली पिढीरा मालकांने अंग्रेजी भिणावणारी म्हे हियारा हुल्लाससुं आज अठे भोळावण देऊं हुं. पेली तो प्राथमिक शिक्षणरो ( Primary Education) खूब जोरसुं फेलावो करो. 'सेंसाररी ऊंची कल्पना 'रो थोडो घणो अस्सल अंस हाईस्कूल तथा कॉलेजमें भिणी जणासुं हिरदामांय उतरसी इस्त्रे म्हे धारुं हुं, सुं अबे तो चेतो. इनेईज म्हें व्यावहारिक ऊंची केळवणी केवुं हूँ. अंग्रेजी भिणावणारा शिवायमें ओर तीन कारण है. वे इणभांत हे : ( १ ) अंग्रेजी आ अबार राजदरबाररी भाषा है. (२) हिंदुस्थानरो बेपार - परदेसरो बेपार - घणो तो बिलायतसुं है. ( ३ ) हिंदुस्थान में भिणिज्योडा सारा सिरदारांरी सम्माईक बोली दिनदिन अंग्रेजी रही है. १४ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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