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मुंबई के जैन मन्दिर
धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के उपदेश एवं प्रेरणा से शेठ श्री देवचंद जेठालाल संघवीने किया है, और परम पूज्य आचार्य भगवन्त श्री विजय प्रेम सूरीश्वरजी म., आचार्य श्री विजय सुबोधसागरसूरीश्वरजी म. साहेब की पावन निश्रामें वि.सं. २०३४ का आसौ वदी १३ धनतेरस को प्रभुजीका प्रवेश महोत्सव हुआ था ।
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इस मन्दिरजी में मूलनायक श्री शान्तिनाथ प्रभु सहित पाषाण की ३ प्रतिमाजी, पंच धातु की ९ प्रतिमाजी, सिद्धचक्र - ४, अष्टमंगल- १ बिराजमान हैं।
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दिवार पर कांच के कलात्मक बनाये तीर्थों मे तथा ऐतिहासिक चित्रो में श्री कदंब गिरि, श्री सम्मेत शिखरजी, श्री पावापुरी, श्री राणकपुरजी, श्री भद्रेश्वर तीर्थ, श्री शत्रुंजय तीर्थ, श्री गिरनारजी, श्री चंद्रपुरी महातीर्थ, श्री राजगीरी पाँच पहाड़, श्री शांतिनाथ प्रभु दसवा भव मेघरथ राजा - बाज- कपोत, राजुल को छोड़कर नेमनाथ रथ को ले जाते हुए, चन्दनबाला - महावीर स्वामी का चित्र तथा २४ तीर्थंकरो के अति सुन्दर फोटो भी विशेष दर्शनीय हैं। मूलनायक के पीछे की ओर श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ प्रभु का तीर्थ अति सुन्दर है ।
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श्री ठाकुरद्वार जैन नवयुवक संघ, विजय धर्म महिला मंडल, श्री शान्तिनाथ जैन पाठशाला तथा अ.सौ. सकरीबेन हीरालाल जेठालाल संघवी मोढुकावाला उपाश्रय हॉल ग्राउण्ड फ्लोर पर, तथा पहले माले पर मन्दिरजी शोभायमान है। आजकल यह जिनालय और उपाश्रय को विस्तृत किया जा रहा है और विशाल शिखरबद्ध जिनालय का निर्माण कार्य पू. युग दिवाकर आचार्य भगवन्त श्री विजय धर्मसूरीश्वरजी म.सा. के समुदाय के प. पू. आ. भ. श्री सूर्योदयसूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा और मार्गदर्शन से हो रहा है।
श्री आदीश्वर भगवान गृह मन्दिर
पांजरापोल विजय वल्लभ मार्ग, गुलालवाडी, कीका स्ट्रीट, मुंबई - ४०० ००२. टे. फोन : ऑ. ३७५ ९३९८ चंपालालजी ऑ. ३७५ ३६ ८० घर : ३८२ ६८ ७३ विशेष :- सर्व प्रथम वि.सं. २०२२ में गोडवाल ओसवाल जैन संघ द्वारा ओसवाल भवन की स्थापना हुई थी।
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श्री गोडवाड ओसवाल जैन संघ द्वारा इस मन्दिरजी में श्री नेमि - विज्ञान कस्तूरसूरि के पट्टधर विजय चंद्रोदयसूरीश्वरजी म. की शुभ निश्रा में वि.सं. २०३५ का माह वद ११ तारीख २३ - २-७९ को मेहमान के रुप में बिराजमान किये गये थे । प्रतिमाजी का गृह मन्दिर में प्रवेश एवं बिराजमान करने का शुभ कार्य सांडेराव निवासी श्रीमानजी श्री हस्तीमलजी जीवराजजी चौपड़ा द्वारा हुआ था । स्थापना के दिन मूलनायकजी के दाहीने आँख में अमी झरणा बहने से और भी आनंद मंगल का वातावरण संघ में छा गया था । यहाँ आरस की १ प्रतिमाजी, पंचधातु की- ३ प्रतिमाजी, सिद्धचक्रजी- ३, अष्टमंगल- १ शोभायमान है 1