Book Title: Mukmati Mimansa Part 02
Author(s): Prabhakar Machve, Rammurti Tripathi
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 613
________________ मूकमाटी-मीमांसा :: 525 २४. 27 डॉ. बारेलाल जैन, हिन्दी संस्करण-प्रकाशक-विमलकुमार जैन अजमेरा, रूप ट्रेडर्स, ७०२-शास्त्री नगर, दादाबाड़ी, कोटा, राजस्थान, प्रथमावृत्ति-१९९५, पृष्ठ-१२, गुजराती अनुवाद- प्रकाशक-वीर विद्या संघ, गुजरात, बी-२, सम्भवनाथ अपार्टमेन्ट्स, बखारिया कॉलोनी, उस्मानपुरा, अहमदाबाद-३८० ०१३, गुजरात, फोन-(०७९)२७५५०१८०, १९९६ । विद्यासागर गीतगंगा (आचार्य विद्यासागर के व्यक्तित्व पर आधारित गीत एवं कविताएँ), लेखक-कवि सुन्दर जैन, प्रकाशक-श्री दिगम्बर जैन अतिशय सिद्धक्षेत्र कुण्डलपुर प्रबन्धकारिणी समिति, कुण्डलपुर, दमोह, मध्यप्रदेश, प्रथम आवृत्ति-१९९५, पृष्ठ-३२। विद्या भक्ति रस (१०० भक्ति-गीत, भजनों का सृजन-संकलन), संकलक-ब्र. किरण जैन निर्मोही, पनागर, जबलपुर, मध्यप्रदेश, सहयोग- ब्र. सुनीता जैन, अशोकनगर, मध्यप्रदेश, ब्राह्मी विद्या आश्रम, सागर एवं जबलपुर, मध्यप्रदेश, प्रकाशक-श्री सूरत सत्तर जिला दिगम्बर जैन मित्र मण्डल, सूरत, गुजरात, प्राप्तिस्थानदिलीप भाई गाँधी, २००-आहुरा नगर, भुलका भुवन स्कूल के सामने, अड़ाजन रोड, सूरत, गुजरात, पृष्ठ८०, १९९६ । विद्याधर से विद्यासागर (जीवन वृत्त), लेखक-सुरेश सरल, प्रकाशक-आचार्य ज्ञानसागर वागर्थ विमर्श केन्द्र, सेठजी की नसिया, ब्यावर-३०५ ९०१, अजमेर, राजस्थान एवं श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र मन्दिर संघीजी, सांगानेर-३०३ ९०२, जयपुर, राजस्थान, फोन-(०१४१)२७३०३९०,२७३०५५२, ५१७७३००, प्रथम संस्करण- १९९६, पृष्ठ-१०२+१७०, मूल्य-५० रुपए। Jain Acharya Shri Vidyasagarji Maharaj [An Ideal Saints in Sraman (Ascetic) Tradition) Author - Dr. Barelal Jain, Hindi Dept.- Awadhesh Pratap Singh University, Rewa, M.P., Translator - Niranjan Jetalpuriya, 22-Chanchalbagh Society, Ranna park, Ghatlodiya, Ahmedabad, Gujrat, Publisher-K.S.Garments, 25-KhajuriBazar, Indore-452002,MadhyaPradesh, First Edition- 1997, Page-16. विद्यासागर की लहरें (आचार्य विद्यासागरजी के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर विस्तृत परिचयात्मक विश्लेषण), प्रकाशक-श्री दिगम्बर जैन युवक संघ, विद्यासागर नगर, सत्यम गैस के सामने, विजय नगर, इन्दौर-४५२ ०१०, मध्यप्रदेश, प्रथमावृत्ति-१९९७, पृष्ठ-१९६, मूल्य-२५ रुपए। विद्या वैभव शतक, विद्या स्तुति शतक, विद्या मंजरी - ऐलक श्री निर्भयसागरजी महाराज । प्राप्तिस्थान - महावीर मित्र मण्डल, श्री शान्तिनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर, ७८-धनलक्ष्मी सोसायटी, ओढव, अहमदाबाद, गुजरात, फोन-(०७९)२२८७२२८१, प्रथमावृत्ति-१९९८ । 'कीर्ति स्तम्भ' एवं 'काव्यमंजरी' (दोनों काव्य संग्रहों में अनेक कविताएँ आचार्य विद्यासागरजी के प्रति समर्पित)- ऐलक श्री निश्चयसागरजी महाराज, प्रथमावृत्ति - १९९९ । 'तेरी जीत-पराजय मेरी', (आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के ५१ वें जन्म दिवस के प्रसंग पर ५१ काव्यात्मक भावनानुभूतियाँ), रचयिता-आचार्य श्री पुष्पदन्तसागरजी महाराज, प्रकाशक-प्रज्ञश्री संघ, भिण्ड, मध्यप्रदेश, प्राप्तिस्थान-प्रमोद कुमार जैन, प्रधान सम्पादक-पुष्पवार्ता, साबूजी का बाड़ा, दाल बाजार, ग्वालियर-४७४ ००१, मध्यप्रदेश, फोन-(०७५१)२३३६७६३, २२३२३६८, द्वितीय संस्करण-२०००, पृष्ठ-८८। सन्तों के सन्त - [गुरु गुणगान, विद्या उपमा छत्तीसी, गुरुगौरव गीता (आचार्य विद्यासागर पच्चीसी), विद्यासिन्धु भजन संग्रह, गुरु के गुण अपार, विद्या वन्दना शतक, गुरु के १०८ नाम आदि संकलन], रचयिता २८. ३२.

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