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पत्रिकाओं में प्रकाशित किया जाने लगा था, इसी से इस पुस्तक के संपादन में विकपरूप से लिखे जानेवाले शब्दों में कहीं कहीं भिन्नता रह गई है।
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इसके अलावा इस इतिहास में कहीं वहीं पुरानी ख्यातों में मिलने वाले श्रावणादि ( श्रावण मास से प्रारम्भ होनेवाले ) संबों को चैत्रादि ( चैत्र पुदि से प्राम्भ होने वाले) संवतों में परिवर्तन कर लिखना छूट गया था, इसी से शुद्धि-पत्र नं० १ में यह संशोधन दे दिया गया है । परन्तु इ-में के राजाओं के चित्रों के न.चे जो राज्य दिर गए हैं वे चैत्र दि संवतों में ही हैं ।
इस इतिहास के लिखने में जिन-जिन मुद्रित और अमुद्रित ग्रन्थों से सहायता ली गई है, उनके अवतरण और नाम यादि यथास्थान टिप्पणी में देने का प्रयत्न किया गया है ।
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यद्यपि वर्तमान मारवाड़ - नरेश के राजत्वकाल का इतिहास इसके प्रथम परिशिष्ट ' में दिया गया है, तथापि वह इस इतिहास का ही एक अङ्ग है । इसके अलावा उन बातों का उल्लेख भी, जो मारवाड़ राज्य के इतिहास से गौणरूप से सम्बन्ध रखती हैं, अन्य परिशिष्टों में दे दिया गया है। हमारा विचार इस इतिहास के साथ ही मारवाड़ का संक्षिप्त भौगोलिक वर्णन भी जोड़ देने का था, परन्तु कई कारणों से ऐसा न हो सका ।
इसके प्रकाशन में जोधपुर गवर्नमेंट- प्रेस के सुपरिन्टेंडेंट मिस्टर चैनपुरी और अन्य कर्मचारियों ने जिस तत्परता से सहायता दी है, उसके लिये वे धन्यवाद के पात्र हैं ।
थाकियों जॉजिकल डिपार्टमेंट, जोधपुर आषाढ सुदि १४ वि० सं० १६६५.
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विश्वेश्वरनाथ रेउ.
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