Book Title: Mantraraj Rahasyam
Author(s): Sinhtilaksuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 121
________________ [ १०९ मन्त्रराजरहस्यम् । अट्ठकुलनागरीया सहसफैणो सिरिनिविट्टकरमउलो। सेवइ धरमिंदो वि य सगोयम मंतवररायं ॥ १२ ॥ रोहिणिपमुहा देवी चउसद्विसुराहिवा तहा अन्ने । सेवइ गोयमचलणे जक्खा-जैविखणिचउव्वीसं ।। १३ ॥ कणयमयसहसपत्ते कमलम्मि य संठिओ य लद्धिजुओ। बहुपाडिहेरकलिओ झाययो गोयममुर्णिदो ॥ १४ ॥ 'ऑ को ही श्री एएणं मंतेण झाणारम्भे ठविजए निचं । अञ्जलिमुद्दाकरणे संनिहियसुराण समवाओ ॥ १५ ॥ सें निहियसुरवराणं उस्सग्गो कीरए सपूया य । कपूर-धव-वासेहिं संघहा विहियवंभवभो ।। १६ ॥ थोवजलविहियन्हाणो वरवत्थविभूसिओ य तिकालं । कम्मरसयहेउं जो सेमरइ विजं इमं विजं ॥ १७ ॥ *3 किरिपिरिसिरिहिरिआयरिब एयस्स मंतरायस्स । जावं तिलस्वमाणं करेइ जो सो गोयमो होइ ॥ १८ ।* सोग्ग य परमिट्टी" मुरही पत्रयण-करंजली झाणे। मुद्दापंचगमेयं कायव्वं सबकालं पि ॥ १९ ॥ किं चिंतामणि-कामघेणु-कप्पदुमसुंदर नवनिहि-चउदसरयणपवर चकितण मणहर । रांना मुवयणि सिरिमरिविज गोयममुपइद्विय भुवणत्तय अक्सलियमहप्प निहियफम्म? य ॥ २० ॥ १. 'राओ सम० । २ 'पडो सि अ० । ३ चरणे म० । १. ताण चउवीस म०। ५ 'सहस्सप म० । । मतेग अ० । ७ भजलिकरमुहाए अ०। ८ 'मुरस्सस म० । १. सेविहिय मु. अ०। १. सुम्पया म० . सुमरर म01 नास्तीय गाया अ. पुस्तके। ५ इम काम। १३ सोहणाय भ० । १४. ही पश्यगगुरही कमली व भ०। १५ कार एम०।१६ मुदर म०। १७.' पहया म०। 10 'रामा मुगिह मिम। भ० भररसपारसीमा- परिशिष्ट २९ । मा-संसदमा प्रति । - -

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