Book Title: Mantra Mahodadhi Granth
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Page 515
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kcbatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyarmandie कलापैर्मयूरपिच्छेस्तेषामरीणांभयोत्पत्तिः॥ 127 // 128 // जन्मांतरोपार्जितपापबाहुल्यादेकपुरश्चरणकृते यदीष्टसिद्धिर्नभवेत्तर्हिपुनःपुरश्चरणकुर्यात् // 129 // संक्षेपपुरश्चरणप्रकारमाह // यद्वति // समुद्रगामिन्यां गंगादिकायाम् // विप्रान्संभोज्यहोमसमानसंख्यानेवेत्यर्थः // तद्दशांशतइत्युभयचापिसंबंधात् // कोद्रवैधियोरीणामुन्मत्तत्वंविभीतकैः // कलापैःसाध्वसोत्पत्तिसपस्तेषांतुमूकता // 127 // समिद्भिःशाल्मलै शोरिपूणामचिराद्भवेत् // किंभूरिणाददातीष्टदेवतासमुपासिता // 128 // पुर श्चरणएकस्मिन्कृतेजन्मांतराघतः॥ मंत्रोयदिनसिद्धःस्यात्तदातत्पुनराचरेत् // 129 // यद्वासमु द्रगामिन्यांनद्यामिदुरविग्रहे // स्पर्शान्मोक्षांतमाजप्यजुहुयात्तद्दशशितः // 130 // विप्रान्सभोज्यना नान्नमत्राणांसिद्धिमाप्नुयात् // शश्वजपपरस्यापिसिध्यंतिमनवोचिरात्॥१३१॥ // इतिमंत्रमहोदधौ मंत्रशोधननामचतुर्विशस्तरंगः // 24 // // कर्माणिषडयोवक्ष्यसिद्धिदानिप्रयोगतः॥शांतिवश्यंस्तं भनंचद्वेषमुच्चाटमारणे // 1 // तदशांशतोजपदशांशेनचजुहुयात् ॥विप्रान्संभोज्यचसिद्धिमवाप्नुयादितिसम्बन्धः॥१३०॥१३॥इतिश्रीमं त्रमहोदधिनौकायांमहीधरनिर्मितायांमंत्रशोधनंनामचतुर्विशस्तरंगः // 24 // // षट्कर्माणिवक्तुमुपक्र मते॥ कर्माणीति // तान्याह // शांतिरिति // 1 // For Private and Personal Use Only

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