Book Title: Mahavira Chitra Shataka Author(s): Kamalkumar Shastri, Fulchand Publisher: Bhikamsen Ratanlal Jain View full book textPage 4
________________ अहोभाग्य वह तात धन्य वह मात धन्य वह क्षेत्र धन्य वह घडी धन्य वह धर्म धन्य कुल जो सन्निमित्त वह तन मन --- गोत्र धन्य । वनकर खुद को वे वर्द्धमान से - लोचन श्रोत धन्य । — - युग-युग तक अनु प्राणित अमर बनाते है । उनकी ही गाथा गाते है ||Page Navigation
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