Book Title: Maha Sainik Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Yogindra Yugpradhan Sahajanandghan Prakashan Pratishthan

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Page 21
________________ Second Proof Dt. 23-5-2017 - 14 । महासैनिक . आत्मसंयम एवं ऐसे कुछ अन्य साधनों पर आधारित था । ऐसे थे गांधी के मार्गदर्शक- सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखानेवाले !... (किताब बंध कर आश्चर्यविभोर हों अपना प्रतिभाव व्यक्त करते हुए) गांधी भी बड़े अद्भुत दिखाई देते हैं और उसके मार्गदर्शक भी ! (किताब हाथ में रखकर सिपाहियों से, जो कि टैन्ट का वह कमरा ठीक कर चुके थे और दरवाजे के पास खड़े थे) सिपाहियों ! सिपाही : यस सर ! (कदम मिलाकर सॅल्युट करते हुए) मार्शल : सब ठीक हो गया क्या ? सिपाही : हाँ, साब ! बिल्कुल ठीक । मार्शल : तो फिर बड़े साहब को सूचना दो - सिपाही : अच्छी बात, सर ! ( दोनों सिपाही जाते हैं बाहर) मार्शल : (किताब खोलकर फिर मोटे से पढ़ते हुए) "गांधी ने अहिंसा और सत्य के सबक अपने इस मार्गदर्शक से दृढ़ किए और अन्यायों तथा अत्याचारों से लड़ने के अपनी प्रिय किताब गीता से...!" (किताब बंद करते हैं । खिड़की के बाहर देखकर चक्कर काटते हुए -) गांधी के मार्गदर्शक सचमुच ही बड़े अद्भुत जान पड़ते हैं... ! (जनरल अपने कपड़े बदलकर रात्रिपोशाक में प्रवेश करते हैं। दोनों सिपाही दरवाजे के पास रुक जाते हैं।) मार्शल : (जनरल से) पधारिए साहब... अब आप आराम करना चाहें तो... ( पलंग बतलाते हैं) जनरल : फाइन, फाइन, बहुत अच्छा । ' मार्शल : (किताब जनरल को लौटाते हुए) लीजिए साहब, बड़ी ही दिलचस्प किताब है यह। (टेबल पर रखते हैं।) जनरल : तुम्हें पसंद आयी क्या ? ( पलंग पर लेटते हैं।) मार्शल : खूब । हमने कभी नहीं जानी हों वैसी बातें है इसमें गांधी और उसके मार्गदर्शक की । जनरल : (आश्चर्य) अच्छा ? कौन थे गांधी के मार्गदर्शक ? मार्शल : इस सम्बन्ध में थोड़ा-सा हिस्सा इस किताब से पढ़कर ही सुनाता हूँ- ("गांधी-एक सत्यशोधक" किताब को उठाकर फिर खोलता है...)" अहिंसा एवं सत्य के उपासक और गांधी के मार्गदर्शक श्रीमद् राजचंद्र कोई साधु सन्यासी नहीं थे । वे बम्बई के एक जवान, जौहरी, सद्गृहस्थ थे । साधुचरित, ज्ञानी और स्वभाव के कवि । गृहस्थ होते हुए भी वे एक आत्म-साक्षात्कार-संपन्न व्यक्ति थे....." (14)

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