Book Title: Lokvinshika Part 02
Author(s): Haribhadrasuri, Manikyasagarsuri
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (४) आगमोद्धारकग्रन्थमालाया उत्पत्तिरेतादृशमहत्त्वपूर्णग्रन्थरत्नप्रकाशनोपज्ञैव भूयोभूयः धन्यवादपात्रमेषा यदनयतादृशग्रन्थरत्नानि पूज्यगच्छाधीशाचार्यतत्त्वावधाने प्राकटयं नीयन्ते । क्षयोपशममान्द्यात् सीसकाक्षरसंयोजकदोषाहा जातक्षतीनां परिमार्जनाय सूचयितव्यरीतिनिर्देशपूर्व प्रन्थरत्नस्यास्योपक्रमलिखनसौभाग्यदानार्थं पूज्यगच्छाधीशानां कृपाकटाक्षमभिनन्दमानो विरमेऽहम् लि. का. सु. १४ । श्रीश्रमणसङ्घसेवकः कपडवंज पु. धर्मसागरगणिवरचरणोपासकोऽभयः । For Private And Personal Use Only

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