Book Title: Lipi Vikas
Author(s): Rammurti Mehrotra
Publisher: Sahitya Ratna Bhandar

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Page 71
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir लिपि विकास बोलना पड़ता है और लिखा केवल एक ध्वनि का द्योतक वर्ण ही जाता है जैसे म ल स के लिये उर्दू में मीम, लाम, सीन और गेमन में एम, एल, एस बोले जाते हैं और लिखे केवल ._ . अथवा m ] 8 जाते हैं । उर्दू वर्ण : 35 और अं.fhing r w x yr की भी यही इशा है। शेष वर्णEE आदि तथा a tho Tjk आदि भी सीधी ध्वनियों के बोतक नहीं है। अतः उद तथा रोमम वर्णमाला वैज्ञानिक नहीं है। अँगरेजी में तो एक और भी दोष है कि प्रायः वर्ण अथवा अक्षर अनुचरित हो जाते है जैसे write right, pneumonia, condemn आदि का उचारमा क्रमशः राइट, राइट, न्यूमोनिया, कन्डम आदि की भाँति होता है। इसके अतिरिक्त अँगरेजी में कुछ मे संक्षिप्त प भी हैं जिनका उनके द्योतक शब्दों में कोई सम्बन्ध नहीं हैं जैसे cwt= Hundred weight, £ अथवा ]}) = Pound, इत्यादि। सारांश यह है कि हिन्दी में ओ कुछ लिखा जाता है वही संशय रहित निश्चय पूर्वक पढ़ा जाता है। अतः हिन्दी वर्णमाला र तथा रोमन से अधिक वैज्ञानिक तथा श्रेष्ठ है। २) उपयोगिता-किसी लिपि की उपयोगिता देखने के नये यह जानना आवश्यक है कि उसमें अध्याति अथवा अति च्यामि दोप तो नहीं है अर्थात जममें आवश्यक ननियों के योतक तिमि चिल्ला का अभाव नया एक वनि के योनक कई अनावश्यक चिन्हों की उपस्थिति तो नहीं है। अनेक ध्वनियों के लिये कही लिशि चिल्ल अथवा एक वनि के लिए अनेक तिमि चिन्ह नहीं होने चाहिये। उर्दू में यई व्यनियों के लग कंवा चिन्ह और व ऊ ओ औ के लिए , आते हैं। कु जण के लिए कोई लिपि चिह्न है ही नहीं; इनका काम , से For Private And Personal Use Only

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