Book Title: Kuvalaymala Part 02
Author(s): Chandraguptasuri
Publisher: Anekant Prakashan Jain Religious Trust
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(२७२)
१८१ 1 पेसिज्जइ केण वि किं पि कारणं सरवरं एयं ।।
(२७२) तओ एवं च अण्णम्मि दियहे तेणेय कमेण णाणा-भोयणादीयं. 3 पुणो कइया वि तंबोलं, कइया वि पत्तच्छेजं, कइया वि वीणं, कइया वि
आलेक्ख, कइया वि पाणं, कइया वि गंध-जोओ, कइया वि किं पि तहाविहं 5 णियय-णेउण्ण-सिणेह-सब्भाव-पिसुणं पेसिज्जइ कुमारस्स । एवं च ताणं
कुमाराणं णियय-रज्जे व्व सुहंसुहेणं भुंजमाणाणं रज-सिरिं वच्चंति दियहा । 7 कमेण य को उण कालो वट्टिउं पयत्तो । अवि य ।
अग्घंति जम्मि काले कंबल-घय-तेल्ल-रल्लयग्गीओ । 9 अच्छइ पाउय-देहो मंदो मंदो व्व सव्व-जणो ।।
किं च दीहरीहोंति णिसाओ, झत्ति वोलेंति वासरा, दुहवीहोंति चंद-किरणाई, 11 परिहरिजंति जलासयई, णिक्खिप्पंति मुत्ताहार-लट्ठीओ, सिढिलिजंति हम्मिय
तलाई, अणायरिजंति चंदण-पंकयई, घेप्पंति रल्लयई, संगहिजंति इंधणई, 13 विरइजति वेणीओ, मक्खिजति मुहई, अंजिजंति अच्छिवत्तई, णियंसिजति
कुप्पासयइं, चमढिजति सव्व-धण्णई, उब्भिजंति खजंकुर-सूईओ, णियत्तंति 15 णियय-दइया-णियंबयड-बिंब-पओहरुम्हा-सुहई संभरमाण पहिय त्ति ।
अवि य । 17 घण-बंधण-पम्मुक्को तुलग्ग-लग्गो य पत्त-धणु-वंसो ।
उय सूरो सूरो इव अह जाओ मउलिय-पयावो ।। 19 गहिय-पलाला मय-धूलि-धूसरा खंध-णिमिय-कर-जुयला ।
दीसंति अल्लियंता पहिया गामम्मि हेमंते ।। 21 विरह-भुयंगेण हओ खंडाखंडिं कओ व सिसिरेण । ___ एसो पसु व्व पहिओ पच्चइ अग्गिम्मि रयणीए ।।
1) P व for वि. 2) P तेण य, P ण्हाण for णाणा. 4) J गंधजोए P बंधुजोओ, JP कंपि for किंपि. 8) P जंसि काले, P कंबलयतेल्लरल्लयंगीओ. 9) P पाउदेहो. 10) J णिसओ संति वोलेंति, P वोलंति, J किरणा. 11) P जलासयाई, P णिक्खिपंति, J लंठिओ, J हम्मियवठ्ठई. 12) P पंकइं, P रल्लयाई, J इंधणयं P इंद्धणइं. 13) J वेणिओ. 14) P कुप्पासयाई, J खजंकुड P गजंकुर. 15) J णिअदइया J संभरमाणदइअयत्ति. 17) P पम्मुक्को पयपत्त. 18) P om. one सूरो. 19) P मल for मय, P खंधणमिय. 22) P व्व for व, P अग्गंमि.

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